ईरान में हिजाब पर बवाल मचा हुआ है. हिजाब के खिलाफ वहां प्रदर्शन हो रहे हैं, महिलाएं अपना हिजाब जला रही हैं, साथ ही बाल काट कर अपना विरोध जता रही हैं. हिजाब को लेकर दिन-ब-दिन लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. ईरान के कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं. सोशल मीडिया के जरिए लोग अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. लोग इसे “क्रांति” का नाम दे रहे हैं और “इस्लामिक गणराज्य की मौत” की बात कर रह हैं. ईरान की राजधानी तेहरान की सड़कों पर “आज़ादी” के नारे बुलंद हो रहे हैं. महिलाएं कट्टरपंथी पुरुषों की आंख में आंख डाल अपने हक़ के लिए लड़ने को तैयार नज़र आ रही हैं. ये सब हो रहा है 22 साल की लड़की महसा अमीनी की मौत के चलते. आरोप है कि महसा की मौत हिजाब पुलिस के जुल्म के चलते हुई है.
क्या है माहसा की कहानी
ईरान के शहर कुर्दिस्तान की रहने वाली 22 साल की लड़की महसा अमीनी 13 सितंबर को राजधानी तेहरान आई थी. बताया जा रहा है कि यहां उसे नैतिक पुलिस जिसे मॉरल पुलिस या हिजाब पुलिस भी कहा जाता है ने गिरफ्तार कर लिया. आरोप था कि उसने हिजाब ठीक से नहीं पहना था. महसा अमीनी की तीन दिन कोमा में रहने के बाद अस्पताल में मौत हो जाती है. मौत की वजह क्या है इसको लेकर ही बवाल शुरु हुआ. सोशल मीडिया पर कई लोग दावा कर रहे हैं कि महसा की मौत पुलिसिया जुल्म के कारण हुई. उसे हिजाब सही से नहीं पहनने की सजा के तौर पर शारीरिक यातनाएं दी गई जिससे उसकी मौत हो गई. हलांकि पुलिस का कहना है कि महसा बीमार थी. बचपन में उसके दिमाग का ऑपरेशन भी हुआ था. पुलिस का कहना है कि उसकी मौत की वजह बीमारी है. लेकिन महसा के पिता पुलिस के दावे को झूठ बता रहे हैं.
हिजाब के खिलाफ कई शहरों में हो रहे हैं प्रदर्शन
महसा की मौत ईरानी महिलाओं और आज़ाद ख्याल समाज के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई. तेहरान समेत मशहद, कुर्दिस्तान में महसा की मौत के खिलाफ और हिजाब पुलिस के विरोध में प्रदर्शन शुरु हो गए. तेहरान की युनिवर्सिटी और हिजाब स्ट्रीट पर बड़ा प्रदर्शन हुआ. यहाँ प्रदर्शनकारियों ने “आज़ादी” के नारे लगाए और अपना हिजाब उतार हवा में लहराया. मशहद में प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े. महसा के शहर कुर्दिस्तान में 500 से ज्यादा लोगों ने प्रदर्शन किया. लोगों ने अपना गुस्सा कारों के शीशे तोड़, कुड़ेदान में आग लगा कर निकाला. इसके साथ ही कई जगह प्रदर्शन में महिलाओं ने अपना हिजाब जला दिया.
#mahsaAmini हुआ ट्रेंड
सोशल मीडिया पर हैशटेग महसाअमीनी लगातार ट्रेंड कर रहा है. इस हैशटेग के साथ लोग अपने विचार और प्रदर्शन के वीडियो लगा रहे हैं. ईरान की जर्नलिस्ट मसीह अलीनेजाद ने भी अपने अकाउंट से कई ट्विट किए हैं. वहाँ लिखती हैं, ये “यह आज का ईरान है. एक महिला गर्व से धार्मिक तानाशाही के सबसे बड़े प्रतीक को जला रही है; अनिवार्य हिजाब. हिजाब पुलिस ने #MahsaAmini को मार डाला लेकिन अब ईरान में लाखों महसा हैं जो जबरन हिजाब, और लैंगिक रंगभेद शासन को ना बोल रही हैं.”
This is Iran today. A woman proudly burning the most visible symbol of religious dictatorship; compulsory hijab.
Hijab police killed #MahsaAmini but now there are millions of Mahsa in Iran who are shouting NO to Forced hijab NO to gender apartheid regime.#مهسا_امینی pic.twitter.com/9tzd9IRwgB— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) September 19, 2022
पत्रकार मसीह अलीनेजाद एक और ट्वीट करती हैं. इस ट्वीट में भी एक वीडियो है महिलाएं इसमें हिजाब के खिलाफ बोलती और उतारती नज़र आ रही हैं. मसीह अलीनेजाद लिखती हैं- “दुनिया के लिए, जो अभी भी नहीं जानते हैं कि ईरान में महिलाओं के लिए बिना सर ढके घर से निकलना एक दंडनीय अपराध है. जी हां, हिजाब उतारने वाली इन महिलाओं को जेल हो सकती है, पीटा जा सकता है और नौकरी से निकाला जा सकता है. लेकिन महिला मताधिकार आंदोलन की तरह ईरानी महिलाएं भी इतिहास रच रही हैं.”
To the world who still don’t know that in Iran #WalkingUnveiled is a punishable crime. Yes these
women who removed their hijab can get jailed, beaten & kicked out from job. But like the women's suffrage movement, Iranian women making history.#مهسا_امینی pic.twitter.com/pu3uUA1teM— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) September 19, 2022
पत्रकार मसीह अलीनेजाद की तरह ही एक और महिला नाज़नीन बुनिआदी भी एक वीडियो शेयर करती हैं और लिखती हैं. “सघेज, ईरान, बहादुर महिलाओं ने अपने सिर पर स्कार्फ हटाकर अधिकारियों द्वारा सजा का जोखिम उठाया है. वहाँ हिजाब पुलिस द्वारा 22 वर्षीय महिला #MahsaAmini की हत्या का विरोध कर रही हैं. उन्होंने “तानाशाह को मौत” का नारा लगाया. शेरनी, हर एक!”
Brave women in Saghez, Iran, risked punishment by authorities by removing their headscarves in protest against the murder of the 22-Year-old woman #MahsaAmini by hijab police, and chanted “death to the dictator.”
Lionesses, each and every one! https://t.co/ME0g8yFxfq
— Nazanin Boniadi (@NazaninBoniadi) September 17, 2022
70 के दशक में जब ईरान में इस्लामिक गणराज्य की स्थापना हुई. तब से ईरान में शरिया कानून लागू है. वहां महिलाओं के लिए एक ड्रेस कोड है जिसके अनुसार उन्हें बाल ढंकने और ढीले-ढाले कपड़े पहनने के लिए बाध्य किया जाता है. ऐसा नहीं करने पर महिलाओं को सजा और जुर्माने का सामना करना पड़ता है. लेकिन पिछले कुछ महीनों में देश में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिजाब और ड्रेस कोड के खिलाफ अपनी मुहिम तेज की है.