Monday, December 23, 2024

Bihar Politics: जेडीयू में घमासान, विधायक सुधांशु शेखर ने सहियोगी विधायक संजीव कुमार के खिलाफ FIR, बीमा भारती बोली पार्टी को विधायकों पर विश्वास नहीं

पटना : सोमवार को विधानसभा में नीतीश कुमार ने बहुमत भले साबित कर दिया हो लेकिन उनकी ही पार्टी में अब सबसे ज्यादा धमासान देखने को मिल रहा है. पार्टी के एक विधायक सुधांशु शेखर ने अपने ही साथी विधायक संजीव कुमार पर 5 करोड़ और कैबिनेट मंत्री पद का लालच दे महागठबंधन के पक्ष में वोट डालने का ऑफर देने का आरोप लगाया है. वहीं जेडीयू विधायक बीमा भारती जो सोमवार को विधानसभा देर से पहुंची थी उन्होंने सरकार से अपने पति और बेटे को रिहा करने की अपील की है और कहा कि पार्टी को अपने ही विधायकों पर भरोसा नहीं है.

जेडीयू विधायक के खिलाफ विधायकों की ‘खरीद-फरोख्त’ के मामले एफआईआर

जेडीयू पार्टी के विधायक सुधांशु शेखर ने सहयोगी विधायक संजीव कुमार पर विधायकों की ‘खरीद-फरोख्त’ को लेकर एफआईआर दर्ज कराई है. शेखर का आरोप है कि संजीव कुमार ने उन्हें फोन कर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के खिलाफ माहौल बनाने में मदद करने के लिए कहा था. सुधांशु शेखर ने दावा किया कि उन्हें विश्वास मत से पहले राजद के नेतृत्व वाले ‘महागठबंधन’ में जाने के लिए पार्टी के सहयोगी द्वारा 5 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी. उन्होंने कहा, “मैंने FIR में सारी जानकारी दे दी है. मैं यह सब किसी दबाव में नहीं कर रहा हूं…मुझे 5 करोड़ रुपये और कैबिनेट में मंत्री पद की पेशकश की गई थी. मुझे कई इंटरनेट कॉल आईं लेकिन मैंने उनकी बात नहीं सुनी.”

पार्टी के कुछ नेताओं के दबाव में दर्ज कराई एफआईआर-संजीव कुमार

वहीं, जदयू विधायक संजीव कुमार ने कहा, “मुझे यकीन है कि सीएम नीतीश कुमार को इसकी जानकारी नहीं है. हमारी पार्टी में कुछ नेता ऐसे हैं जिन्होंने विधायक पर दबाव डाला और एफआईआर दर्ज़ कराने के लिए मजबूर किया.”

पार्टी ने अपने विधायकों पर भरोसा खो दिया है-बीमा भारती

वहीं सोमवार को विधानसबा देर से पहुंचने वाली जेडीयू विधायक बीमा भारती अपने पति और बेटे के खिलाफ हुई कार्रवाई और गिरफ्तारी से परेशान है. उन्होंने कहा, “मेरे बेटे और पति को जेल में डाल दिया गया…उन्होंने (अधिकारियों ने) कहा कि उन्हें जेल में डालने के लिए ऊपर से दबाव था. वे क्या साबित करना चाहते हैं? सत्ताधारी सरकार के विधायकों को परेशान किया जा रहा है. मैं इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील करता हूं…हम पार्टी (जेडीयू) के साथ हैं लेकिन पार्टी ने अपने विधायकों पर भरोसा खो दिया है, इसलिए ऐसा हो रहा है.”

बहुमत जीतने के बाद भी सीएम नीतीश कुमार की मुश्किलें घटी नहीं हैं. पहले जब वो पाला बदलते थे तो पार्टी बिना सवाल किए उनके साथ खड़ी होती थी. लेकिन इस बार विरोध और बगावत के सुर साफ सुनाई दिए और बहुमत मिलने के बाद भी पार्टी में घमासान जारी है.

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