Sunday, September 8, 2024

katihar firing:”पुलिस की गोली से नहीं हुई कोई मौत, किसी दूसरे युवक ने चलाई गोली”

कटिहार :  बिहार में बुधवार को बिजली आपूर्ति को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग (katihar firing) में मारे गये युवकों के मौत मामले की जांच करने गये पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि प्रदर्शन के दौरान जो गोली चली वो किसी पुलिस वाले ने नहीं बल्कि किसी आम आदमी ने चलाई थी. कटिहार जिले के एसपी जीतेंद्र कुमार ने घटना (katihar firing) को लेकर चल रही जांच के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आज उन्होंने घटना स्थल पर जाकर मामले की तहकीकात की. सबसे पहले उस जगह को देखा जहां मृतक का शव मिला था. हमने सीसीटीवी कैमरे की जांच की. सीसीटीवी में देखा गया कि पुलिसकर्मी ने गोली(katihar firing) दूरी से चलाई थी.इसलिए गोली का मृतक को लगना असंभव है. एसपी जितेंद्र कुमार ने दावा किया कि सीसीटीवी में दिखाई दे रहा है कि एक युवक आता है और दोनों युवकों पर गोलियां चलाता है”

katihar firing पर पुलिस का दावा

कटिहार के एस पी जीतेंद्र  कुमार ने कहा कि मृतक और पुलिस वाले की जितनी दूरी थी , उससे किसी को  गोली लगना असंभव है. इस तरह से एसपी जीतेंद्र कुमार ने मीडिया कर्मियों के सामने अपनी जांच के आधार पर पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट दे दिया.एसपी जीतेंद्र कुमार ने कहा कि कुछ आसामजिक तत्वों ने बारसोई का माहौल बिगाड़ने के लिए भीड़ की आड़ में फायदा उठाया और घटना को अंजाम दिया . पुलिस ने अपने दावों को सच साबित करने के लिए एक वीडियो भी शेयर किया है.

सोशल मीडिया पर फायरिंग का वीडियो वायरल

वहीं घटना वाले दिन सोशल मीडिया पर स्थानीय लोगों के द्वारा जो वीडियो वायरल किए गए उस वीडियो में साफ दिखाई दे  रहा है कि पुलिस वाले भीड़ की तरफ गोली चला रहे हैं.इस वीडियो को लेकर पुलिस ने प्रेस कान्फ्रेंस में कुछ भी नहीं कहा.

पुलिस ने क्यों की फायरिंग ?

आपको बता दें कि बुधवार को कटिहार जिले के बारसोई इलाके में कुछ लोग खराब बिजली आपूर्ति के खिलाफ बिजली आफिस पर प्रदर्शन करने पहुंचे थे. लोग हल्ला हंगामा करने लगे तो पुलिसकर्मियों ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए प्रदर्शनकारियों को खदेड़ना शुरु कर दिया. पुलिस के व्यवहार से नाराज भीड़ उग्र हो गई और जवाब में बिजली ऑफिस और पुलिस कर्मियों पर पथराव करना शुरु कर दिया. इसी दौरान पुलिस कर्मियों की तरफ से फायरिंग कर दी गई.

भीड़ को नियंत्रण करने के लिए फायरिंग ही उपाय है ?

यहां सवाल ये है  कि व्यवस्था से परेशान लोग अगर अपनी बात रखने के लिए प्रदर्शन करने पहुंचते हैं तो क्या पुलिस के लिए फायरिंग करना जायज है?

प्रदर्शन के दौरान आम लोगों पर फायरिंग करना क्या जन अधिकार का दमन नहीं है ?

जनता अगर उग्र होती है तो क्या फायरिंग के अलावा पुलिस के पास उन्हें नियंत्रित करन का कोई दूसरा साधन नहीं है ?

आखिर किस अधिकारी के आदेश से पुलिसकर्मियों ने हवाई फायरिंग की ?

य़हां सवाल ये भी है कि (पुलिस के दावे अनुसार ही ) प्रदर्शनकारियों  की भीड़ के सामने  जहां पुलिसकर्मी भी मौजूद थे, इसके बावजूद कोई फायरिंग करके सरेआम एक आम नागरिक की हत्या कर दी जाती है और औऱ कोई पकड़ा भी नहीं जाता है,तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है?  अगर किसी आम बदमाश ने भीड़ के बीच में घुसकर हत्या की तो उसे वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने क्यों नहीं पकड़ा?

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