Wakf Amendment Bill : लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल 2024 पेश कर दिया गया है. कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने वक्फ एक्ट में संसोधन का प्रस्ताव सदन में पेश कर दिया है. कानून मंत्री किरण रिजीजू के प्रस्ताव पेश करने के समय विपक्ष ने जमकर हंगामा किया.
Union Minister @KirenRijiju introduces The Waqf (Amendment) Bill, 2024 in #LokSabha.#WaqfBoardBill #WaqfBoardAmendmentBill @ombirlakota @LokSabhaSectt pic.twitter.com/3iJfvZDNx0
— SansadTV (@sansad_tv) August 8, 2024
Wakf Amendment Bill बिल का विपक्ष ने किया विरोध
कानून मंत्री के बिल पेश करने के बाद विपक्ष ने बिल पेश करने के समय को लेकर सवाल किया और कहा कि अभी ऐसी क्या जरुरत पड़ गई है कि वक्फ कानून में बदलाव की जरुरत महसूस की गई. कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये केवल देश का विभाजन करने की साजिश है. केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये बिल संविधान का उल्लंघन है. वक्फ की संपत्ति दान से आती है. केसी वेणुगोपाल ने बिल में संशोधन के प्रस्ताव को संविधान का मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया. कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार ये बिल इस समय इस लिए लेकर आ रही है क्योंकि हरियाणा में विधान सभा चुनाव आने वाले हैं.
वहीं रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह ने इसे धर्म में हस्तक्षेप बताया. रामपुर सांसद ने कहा कि अगर इसी तरह मजहबी मामलों में दखलअंजादी होती रही तो हो सकता है कि लोग एक बार फिर से सड़कों पर उतर जाये. वहीं टीएमसी नेता संदीप बंदोप्ध्याय ने भी बिल पर विरोध जताया.
डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा कि आज का दिन बेहद दुखद है क्योंकि हाल ही में सांसदों ने संविधान की शपथ लेकर इस सदन में प्रवेश किया था लेकिन यहां देखा जा रहा है कि यहां सीधे संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है. शपथ लेते हुए कहा कि संविधान की रक्षा करेंगे. ये बिल ना केवल धर्म के विरुद्ध है बल्कि ये अल्पसंख्यकों और मानवता के भी विरोध में है.
सदन में जैसे ही जदयू के सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह बोलने के लिए उठे विपक्ष ने जमकर हंगामा किया.ललन सिंह ने कहा कि सदस्य यहां मंदिर और संस्था में फर्क करना नहीं जानते हैं. लोग अयोध्या मंदिर की बात कर रहे लेकिन यहां धर्म की बात नहीं हो रही है बल्कि संस्था की बात हो रही. इस बिल के समर्थन में बोलते हुए ललन सिंह ने कांग्रेस को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख दंगो की याद दिलाई.
एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार को तुरंत इस संशोधन बिल को वापस लेना चाहिये, क्योंकि बिल को पेश करने से पहले इस पर विचार नहीं किया गया. सुप्रिया सुले ने कहा कि ये बिल पहले मीडिया में बांटा गया फिर सासंदों को मिला. ये संसद का अपमान है. इसपर लोकसभा स्पीकर ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि सुप्रिया सुले का आरोप ठीक नहीं है. सुप्रिया सुले ने नियम 108 B को हटाने की मांग की. सुले ने कहा कि इस बिल में कहा गया है कि नियम 108 B के मुताबिक कहा गया है कि केंद्र सरकार नियम बनायेगी. अगर सारे नियम केंद्र सरकार बनायेगी तो राज्य सरकारें क्या करेंगी ?
कल रात बिल का प्रस्ताव संसद सदस्यों को दिया गया
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मंगलवार रात को वक्फ अधिनियम में संशोधन करने वाला विधेयक लोकसभा के सदस्यों के बीच प्रसारित किया गया. पीटीआई के अनुसार, इस कानून का नाम बदला जाना तय है, साथ ही इसमें ‘दूरगामी’ बदलाव भी देखने को मिलेंगे, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को ऐसे निकायों में प्रतिनिधित्व देना शामिल है.
वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ रखा जाना तय किया गया है.
सूफी संगठन ने केंद्र की वक्फ बोर्ड विधेयक का किया समर्थन
हलांकि ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल ने मंगलवार को वक्फ बोर्डों की शक्तियों पर अंकुश लगाने के केंद्र के कथित कदम का समर्थन किया. एक बयान में, एआईएसएससी के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि इस विधेयक की लंबे समय से प्रतीक्षा थी और देश भर की दरगाहें इस कदम का समर्थन कर रही हैं.
एआईएसएससी के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मौजूदा वक्फ अधिनियम में दरगाहों का कोई उल्लेख नहीं है. वक्फ बोर्ड दरगाह की परंपराओं को मान्यता नहीं देते हैं क्योंकि हमारी कई परंपराएं शरिया में नहीं हैं, इसलिए हम एक अलग दरगाह बोर्ड की मांग करते हैं.”