मोरबी(MORBI),गुजरात
गुजरात के मोरबी दुर्घटना में मृतकों की संख्या 141 पहुंच गई है. इस मामले में अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.गिरफ्तार किये गये लोगों में निजी कंपनी ओरेवा के लिए काम कर रहे सुरक्षा गार्ड, टिकट बेचने वाले और पुल की निगरानी में तैनात गार्ड तक शामिल हैं.सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ओरेवा कंपनी के शीर्ष अधिकारी घटना के बाद से फरार हैं.
हमने IPC की धारा 114, 304, 308 के तहत 9 लोगों को गिरफ़्तार किया है जिसमें ओरेवा कंपनी के मानेजर, टिकट क्लर्क, पुल के मरम्मत करने वाला ठेकेदार आदि लोग शामिल हैं: राजकोट रेंज आईजी अशोक यादव#MorbiBridgeCollapse pic.twitter.com/xc7HqfNJvH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 31, 2022
इस मामले में पुलिस ने जो FIR दर्ज की है उसमें कई तरह सुरक्षा नियमों के उल्लंघन की बात कही गई है, जिसके कारण इतनी बड़ी दुर्घटना घटी. मोरबी नगर निगम से 15 साल के लिए इस पुल के मेंटनेंस का ठेका लेने के बाद इस कंपनी ने पुल की मरम्मत के लिए बिना किसी विशेषज्ञता वाली कंपनी ‘देवप्रकाश सॉल्यूशन’ को इसका ठेका दे दिया.
ओरेवा ने इस पुल की मरम्मत का काम मार्च के महीने में अपने हाथ में लिया था और गुजराती नववर्ष के मौके पर 26 अक्टूबर को इसे लोगों के लिए खोल भी दिया. जबकि कंपनी ने नगर निगम के साथ जो समझौता किया था उसके मुताबिक इस पुल को मेंटेनेंस के लिए अगले 8-12 महीने के लिए बंद रखना था.FIR में लिखा गया है कि पुल को आम लोगों के लिए खोलना गंभीर लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना फैसला था. हलांकि FIR में किसी का नाम नहीं लिखा गया है. मामला अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया गया है.FIR में ये साफ साफ लिखा है कि जिन लोगों को ब्रिज की मरम्मत का काम दिया गया था उन्होंने रिपेयर का काम ठीक से नहीं किया और इतनी बड़ी घटना हुई.उन्होंने काम की गुणवत्ता की जांच तक नही की जबकि उन्हें इस तरह के हादसे की आशंका पहले से थी.
पुलिस के मुताबिक घटना से पहले करीब 500 लोगों को टिकट बेचे गये और क्षमता से अधिक लोगों के पुल पर एक साथ होने की वजह से दुर्घटना घटी. ये बात मामले की जांच के लिए पहुंची CFSL की टीम भी कह चुकी है.ओरेवा ने इस पुल के मेंटेनेंस का काम 2037 तक के लिए लिया था. कांट्रेक्ट में ये भी लिखा था कि कंपनी हर साल टिकट के दाम बढ़ायेगी.
पिछले हफ्ते जब इस पुल को आमलोगों के लिए खोला जा रहा था तो कंपनी के प्रबंध निदेशक जयसुखभाई पटेल ने मीडिया से कहा था कि 2 करोड़ की लागत से मेंटेनेंस का काम 100 प्रतिशत पूरा कर लिया गया है. ये पुल 8 -10 साल तक चल जायेगा लेकिन मरम्मत के बाद एक हफ्ते भी ये नहीं चल पाया.
कंपनी को अंदाजा था कि अगर पुल पर बोझ बढ़ा तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है. इस ब्रिज के रिओपनिंग के समय जब पत्रकारों ने जयसुखभाई पटेल से पूछा था कि यहां टिकट क्यों लगाया जा रहा है तो इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि हम चाहते है कि इस पुल पर बोझ ना बढ़े इसलिए लोगों की संख्या को नियंत्रित रखने के लिए टिकट लगाया गया है.
इस मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा है कि इस हादसे में नैतिक रुप से गुजरात सरकार और प्रशासन जिम्मेदार है. राज्य में हमारी पार्टी की सरकार है,प्रशासन हमारा है, कलेक्टर हमारे हैं. नगरपालिका भी हमारी है तो नैतिक रुप से जिम्मेदारी हमारी बनती है.