Saturday, March 15, 2025

Anand Mohan: नीतीश के आनंद मोहन दाव से तिलमिलाई बीजेपी, राजपूत वोट बैंक पर मंडराता दिखा खतरा

Anand Mohan Release: बिहार बीजेपी के नेता शायद भूल गए हैं कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार के डीएनए को लेकर टिप्पणी की थी तो बिहार की जनता ने बता दिया था कि वो अपने डीएनए को पहचानती है. हाल फिलहाल में बीजेपी नेता जिस तरह नीतीश कुमार को मिट्टी में मिलाने, उनका राजनीतिक सफर खत्म करने की बात कर रहे हैं, वो पहले ये तो देख लें कि जो मुद्दा वो उठा रहे हैं कहीं उसमें वो खुद न फंस जाएं.

आनंद मोहन की रिहाई पर मचा है घमासान

आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार में घमासान मचा है. आईएएस अधिकारी डीएम जी कृष्णैया की हत्या के दोषी पूर्व सांसद आनंद मोहन को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले की जमकर आलोचना हो रही है. कहा जा रहा है कि 10 अप्रैल को बिहार सरकार ने बिहार कारा कानून में जो बदलाव किया उसका मकसद सिर्फ आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ करना था.

आनंद मोहन की रिहाई से आईएएस लॉबी नाराज़

बिहार की आईएएस लॉबी ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना की है और एक बयान जारी कर सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. इंडियन सिविल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (सेंट्रल) एसोसिएशन के बयान में कहा गया है कि केंद्रीय आईएएस एसोसिएशन गोपालगंज के पूर्व जिलाधिकारी जी कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषियों को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर गहरी निराशा व्यक्त करता है.

इसमें जोर देकर कहा गया है कि ड्यूटी पर एक लोक सेवक की हत्या के आरोप में दोषी करार दिए गए व्यक्ति को कम जघन्य श्रेणी में फिर से वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है. जेल नियमावली के मौजूदा वर्गीकरण में संशोधन करना, जो कि एक लोक सेवक के सजायाफ्ता हत्यारे को रिहा करने की ओर ले जाता है, न्याय से दूर करने के समान है. इससे लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है और सार्वजनिक व्यवस्था कमजोर होती है. साथ ही न्याय के प्रशासन का मजाक बनता है. खुद शहीद डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने भी इस फैसले पर कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है.

आनंद मोहन के लिए उमड़ रहा बीजेपी का प्यार, बाकी 26 अपराधियों पर है सवाल

पहले से ही कानून व्यवस्था के मुद्दे पर घिरे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए आईएएस लॉबी का बयान मुश्किल खड़ी कर सकता है. हलांकि नीतीश सरकार का ये फैसला प्रशासनिक नहीं राजनीतिक है. इसलिए नीतीश सरकार की सबसे बड़ी आलोचक बीजेपी को इस फैसले का विरोध करना चाहिए था लेकिन राजनीति का खेल देखिए बीजेपी आनंद मोहन की रिहाई को तो सही बताती है लेकिन उनके साथ रिहा होने वाले 26 और दोषियों की रिहाई पर निशाना साध रही है.
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सरकार ने आनंद मोहन की आड़ में सूबे के तमाम कुख्यात अपराधी जो एक खास वर्ग से हैं, उनको निकालने का रास्ता साफ किया है. मुख्यमंत्री नीतीश फिर बिहार को उसी दौर में ले जा रहे हैं, जब कुख्यात और दबंगों का बिहार में बोलबाला था.
इसके बाद बीजेपी के एक और धुरंधर को सुन लीजिए उनका आनंद मोहन पर क्या कहना है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आनंद मोहन के बारे में कहा कि ‘वो बेचारे तो बलि के बकरा हैं. वो तो इतनी सजा भोगे हैं. आनंद मोहन की रिहाई को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं लेकिन आनंद मोहन की आड़ में जो काम किया है इस सरकार ने, उसे समाज कभी माफ नहीं करेगा.
यही बात आरजेडी के नेता और बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी कह रहे हैं कि आनंद मोहन ने अपनी सज़ा काट ली है और अब उन्हें रिहा करना ग़लत नहीं है.

आनंद मोहन का विरोध कर राजपूत वोट नहीं खोना चाहती बीजेपी

अब आप सोच रहे होंगे कि जब डीएम के हत्यारे को छोड़ना गलत नहीं है तो आखिर उन 26 लोगों ने ऐसा क्या पाप किया कि उनकी रिहाई पर इतने सवाल उठ रहे हैं. दरअसल बीजेपी आनंद मोहन की रिहाई का विरोध तो कर नहीं सकती इसलिए दूसरे 26 लोगों की रिहाई पर हाय तौबा मचा रही है.
आनंद मोहन जाति से राजपूत हैं. यानी बीजेपी का वोट बैंक. इसी वोट बैंक पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने आनंद मोहन की रिहाई के बहाने हाथ डाल दिया. नतीजा हुआ कि बीजेपी तिलमिला गई है. पहले ही ओबीसी दलित को जाति जनगणना से नीतीश अपने पक्ष में कर चुके हैं. अब बीजेपी की नाक के नीचे से राजपूत वोट उड़ा ले जाने की कोशिश को बीजेपी कैसे बर्दाश्त कर सकती है. वैसे बिहार में सीधे आनंद मोहन पर हमला करने से बचने का बीजेपी ने एक और हथकंडा अपनाया है.

सोशल मीडिया पर चल रहा है यूपी बनाम बिहार

सोशल मीडिया पर ये खूब शेयर किया जा रहा है कि “यूपी से माफिया ब्रदर्स अतीक-अशरफ़ की विदाई और बिहार में बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई “फ़र्क़ साफ़ है” हलांकि बीजेपी का ये वार भी कम ही काम कर रहा है क्योंकि लोग पूछ रहे हैं कि रिहाई तो बिलकिस बानो के बलात्कारियों की भी हुई थी गुजरात में. तो गुजरात वाला फ़र्क़ भी देखना है या केवल बिहार वाला फर्क देखना है.

बिलकिस बानो के अपराधियों को क्यों छोड़ा गया था?

यानी बिहार में आनंद मोहन को राजनीतिक फायदे के लिए छोड़ने का जो फैसला नीतीश ने किया है बीजेपी उसे न निगल पा रही है न उगल पा रही है. खासकर तब जब बिलकिस बानो के मामले में 2 मई को आखिरी सुनवाई होगी और फैसला आएगा तब बीजेपी अपनी गुजरात सरकार के फैसले का बचाव कैसे करेगी. वो फैसला जो उसने गुजरात चुनाव में हिंदू वोट को एकजुट करने के मकसद से लिया था.

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