क्या कभी आपने सोचा है कि आपके घर की लक्ष्मी आपकी बेटी बहन को देखने लड़के वाले आए हों और लड़के या उसके परिवार का पहला सवाल हो कि कहीं तुम यौन शोषण का शिकार तो नहीं हुई हो. क्या हुआ सन्न रह गए ना आप भी लेकिन यही कुछ हाल था 90 के दशक में राजस्थान की सूफी संतों की नगरी अजमेर का. जहां कुछ दरिंदों की वजह से बेटियों की शादियां होनी मुश्किल हो गई थी. जी हां सही समझे आप वजह थी भारत का सबसे बड़ा बलात्कार कांड अजमेर शरीफ रेप कांड. आज हम आपको बतायेंगे अजमेर शरीफ मामले का कांग्रेस कनेक्शन.
क्या था मामला ?
ये बात तब की है जब इंटरनेट नहीं था तब ख़बरों का ज़रिया या तो अखबार था या रेडियो और टीवी पर दूरदर्शन. ख़बरों को जन जन तक पहुंचने में आज के मुताबिक काफी वक्त लगता था लेकिन उस दौर में भी एक खबर ऐसी थी जिसने हर तरफ हलचल पैदा कर दी. खबर आग की तरह हर तरफ फ़ैल गई. वो खबर थी अजमेर शरीफ दरगाह में चलने वाला वहशी खेल. जहां 100 से ज्यादा हिन्दू लड़कियों को कुछ दरिंदों ने अपनी हवस का शिकार बनाया. ये आंकड़ा ऑफिसियल है जबकि असलियत इससे भी ज्यादा भयानक है.सबसे शर्मनाक बात ये कि काण्ड करने वाले कोई और नहीं बल्कि दरगाह के खादिम थे जो खुद को चिश्ती के वंशज कहा करते थे. सूबे के रईस और सफेदपोश जो दिखने में तो आपकी और हमारी तरह साधारण थे लेकिन उनके कारनामों ने अजमेर शरीफ जैसी पवित्र जगह और अजमेर का नाम और वहां की बेटियों की इज़्ज़त पर एक बदनुमा धब्बा लगा दिया.
लेकिन अजमेर दरगाह रेप कांड सिर्फ कुछ वहशी लोगों के हवस की दास्तां नहीं है बल्कि यहां ब्लैकमेलिंग और अश्लील तस्वीरों का कारोबार भी था. इस घटना को एक सोची समझी साजिश के तहत एक गिरोह की तरह अंजाम दिया जाता था. दरगाह के मजहबी ठेकेदार के वेश में रह रहे दरिंदों ने यही तरीका अपनाया था. पहले किसी हिन्दू लड़की को अपने जाल में प्यार के नाम पर फंसाओ, उससे सम्बन्ध बनाओ, उसकी नग्न व आपत्तिजनक तस्वीरें ले लो, फिर उसका प्रयोग कर के उसकी किसी दोस्त उसके परिवार की दूसरी महलिओं को फांसो और ब्लैकमेल करो.
2018 में क्यों सुर्खियों में आया अजमेर 92 केस?
ये मामला कुछ साल पहले 2018 में तब भी सुर्ख़ियों में आया था जब 15 फरवरी को पुलिस ने इस केस के मुख्य आरोपी सुहैल गनी चिश्ती को गिरफ़्तार किया था. इस मामले में कुल 18 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
मामले में शामिल थे कई कांग्रेस नेता
इस मामले में कॉन्ग्रेस की भूमिका पर नज़र डालें तो ये रैकेट चलाने वाले खुद कांग्रेस के बड़े नेता थे. उनके रसूख के आगे पुलिस भी थर्राती थी. वजह ये थी कि उस समय पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे और कॉन्ग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी वही हुआ करते थे. वहीँ फारूक चिश्ती इंडियन यूथ कॉन्ग्रेस के अजमेर यूनिट का अध्यक्ष था. नफीस चिश्ती कॉन्ग्रेस की अजमेर यूनिट का उपाध्यक्ष था. अनवर चिश्ती अजमेर में पार्टी का जॉइंट सेक्रेटरी था. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि शक्तिशाली कॉन्ग्रेस पार्टी, उसकी तुष्टिकरण की नीति और आरोपियों का समाजिक और पैसों का रुतबा- इन सबने मिल कर मामले को काफी हद तक दबाने का प्रयास किया. कहा तो ये भी जाता है कि कॉन्ग्रेस नेता जयपाल का भी इस सेक्स स्कैंडल में हाथ था और पत्रकार मदन सिंह की हत्या भी इसी कारण हुई. हालांकि मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत की सरकार ने जांच के आदेश तो दिए लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी.
अजमेर 92 मामले में ये थी पुलिस की बड़ी चुनौती?
मामले में ओमेंद्र भारद्वाज जो तब के अजमेर के डीआईजी थे, जो बाद में राजस्थान के डीजीपी भी बने. उन्होंने खुद कहा था कि आरोपी इतने प्रभावशाली थे कि पीड़िताओं को बयान देने के लिए प्रेरित करना पुलिस के लिए एक चुनौती बन गया था. मामले में 18 आरोपियों में से एक ने आत्महत्या कर ली. फारूक चिश्ती तब यूथ कॉन्ग्रेस का नेता हुआ करता था, जिसे मानसिक रूप से विक्षिप्त घोषित कर दिया गया. सेशन कोर्ट ने 1998 में 8 आरोपियों को आजीवन कारावास की सज़ा तो सुनाई लेकिन इसके 3 साल बाद 2001 में राजस्थान हाईकोर्ट ने इनमें से 4 को बरी कर दिया.
2003 में सुप्रीम कोर्ट ने मोइजुल्लाह उर्फ पट्टन, इशरत अली, अनवर चिश्ती और शमशुद्दीन उर्फ मैराडोना की सज़ा कम कर दी. इन सबको मात्र 10 वर्षों की सजा मिली. इनमें से 6 के ख़िलाफ़ अभी भी मामला चल रहा है. सुहैल चिश्ती 2018 में शिकंजे में आया था. एक आरोपी अलमास महाराज फरार है, जिसके ख़िलाफ़ सीबीआई ने रेड कॉर्नर नोटिस तक जारी कर रखा है. वहीं 2007 में मानसिक विक्षिप्त घोषित आरोपी फारूक चिश्ती को अजमेर की एक फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने दोषी मान कर सज़ा सुनाई और राजस्थान हाईकोर्ट ने इस निर्णय को बरकरार भी रखा लेकिन हाईकोर्ट ने उसके द्वारा तब तक जेल में बिताई गई अवधि को ही सज़ा मान लिया. चिश्तियों में अभी सिर्फ़ सलीम और सुहैल ही जेल में हैं.
फिल्म खोलेगी राज़?
ये मामला काफी पेचीदा है जिसे बहुत जल्द अब आप बड़े परदे पर देखने वाले हैं. जिस मुद्दे पर अभी तक लोग बात करने से भी कतराते हैं. अब बहुत जल्द भारत में टीवी इंडस्ट्री के जाने माने डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह अजमेर 1992 की सत्य घटनाओं पर फिल्म लेकर आ रहे हैं जो केरल स्टोरी और कश्मीर फाइल्स की तरह ही देश में फिर एक बार उन घटनाओं का पर्दाफाश करेगी जो अब तक आप से हमसे छिपी हुई थी. तो क्या आपको भी इस फिल्म का इंतज़ार है इस पर आप अपनी राय हमें कमेंट कर जरूर बताएं.