Saturday, July 5, 2025

बिहार उपचुनाव 2022 को BJP-RJD की लड़ाई बनाकर बच निकले सीएम नीतीश

- Advertisement -

बिहार उपचुनाव के नतीजे दिलचस्प रहे. जहां मोकामा में जीतकर भी तेजस्वी यादव को हारा हुआ बताया गया वहीं गोपालगंज की हार के लिए तेजस्वी की मामी और ओवैसी को दोषी करार दिया जा रहा है.

तीन महीने पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने साथी बदल लिए थे. सरकार से बीजेपी को आउट कर आरजेडी की इंट्री कराई थी. सत्ता के इस अदल बदल के बाद बिहार में ये पहला मौका था कि जब जनता अपने मन की बात कहती. बताती कि उसको नीतीश कुमार के नए साथी पसंद आए की नहीं. लेकिन बड़ी चालाकी से नीतीश कुमार ने इस सत्ता की कसौटी से अपना दामन छुड़ा लिया और मुकाबले को आरजेडी बनाम बीजेपी बना दिया. जबकि लड़ाई तो बीजेपी बनाम जेडीयू थी. सरकार से बीजेपी को नीतीश कुमार ने बाहर किया था. बीजेपी की नाराजगी भी जेडीयू और नीतीश से थी. बीजेपी के बड़े नेता लालू और तेजस्वी को पलटूँ चाचा से सावधान रहने की नसीहतें दे रहे थे. लेकिन जब मैदान में उतरने का वक्त आया तो निशाने पर तेजस्वी आ गए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दोनों उप चुनाव की सीटें आरजेडी को दे दी. धीरे से ये भी कह दिया कि तेजस्वी बिहार का भविष्य है. चाचा का भरोसा देख तेजस्वी यादव भी बीजेपी के चक्रव्यूह में घुस गए. भरोसा था कि चाचा साथ देंगे. लेकिन चाचा ने मोर्चा संभालने से पहले ही खुद को रिटायर्ड हर्ट (retired hurt) बता दिया.

मोकामा में छोटे सरकार का सिक्का चला
मोकामा में तो छोटे सरकार अंनत सिंह की खुद की साख दाव पर भी. वो जेल से ही पूरी ताकत लगाए हुए थे. इसलिए तेजस्वी इस चक्रव्यूह से बच निकले. हलांकि यहां बीजेपी ने कड़ी टक्कर दी. ये भी साबित कर दिया कि यहां जेडीयू का कोई वोट था ही नहीं. 2020 में आरजेडी के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को 2020 के चुनाव के मुकाबले इस बार महज 1 हजार 23 वोट ज्यादा मिले. जबकि भाजपा ने लोजपा के बाहरी सहयोग से 63 हजार से अधिक मत पा लाये. पिछली दफा बीजेपी-जेडीयू के संयुक्त प्रत्याशी रहे राजीव लोचन को महज 42964 मत मिले थे. इस तरह से मोकामा के रण में लंबे अंतराल के बाद अपना कैंडिडेट उतारने वाली बीजेपी को 63003 मत मिले. बीजेपी इस वोटों को पा कर फूली नहीं समा रही है. बीजेपी नेताओं ने साफ कर दिया है कि मोकामा के वोटरों ने मन बना लिया है. 2025 में मोकामा में कमल खिलेगा.

गोपालगंज में ओवैसी ने ले लिया आरजेडी से बदला
वहीं बात गोपालगंज की करें तो यहां तेजस्वी यादव फंस गए. तेजस्वी ने इस सीट पर जमकर प्रचार किया. लेकिन मुकाबला यहां सिर्फ बीजेपी से नहीं था. यहां एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी चोट खाए शेर की तरह घात लगाए हुए थे. साथ ही मामा साधु यादव भी भांजे के सामने ताल ठोक खड़े थे. हलांकि देखा जाए तो जितने कम वोट से आरजेडी ये सीट हारी है उससे साफ है कि यहां जीत बीजेपी की नहीं बल्कि आरजेडी की हार हुई है. ओवैसी ने अपनी पार्टी के तोड़े गए चार विधायकों का बदला ले लिया. आपको याद होगा 2020 विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने बिहार के सीमांचल से 5 सीटें जीती थी. लेकिन बाद में उनके 4 विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे. विधायकों की इस तोड़ फोड़ ने ओवैसी को नाराज़ कर दिया था और उन्होंने उपचुनाव में अपना बदला ले लिया.
गोपालगंज सीट पर जितने वोट एआईएमआईएम को मिले है वो जीत के अंतर से 7 गुना है. आपको बता दें गोपालगंज उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार कुसुम देवी को 70,053 वोट मिले हैं जबकि आरजेडी उम्मीदवार राजेंद्र मोहन गुप्ता को 68,259 वोट आए. मतलब ये की कुसुम देवी ने राजेंद्र मोहन गुप्ता को सिर्फ 1,794 मतों से हराया. अगर बात इस सीट पर आरजेडी का खेल बिगाड़ने वालों की करें तो एआईएमआईएम उम्मीदवार अब्दुल सलाम यहां 12,214 वोट मिले जबकि बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रत्याशी इंदिरा यादव जो रिश्ते में तेजस्वी यादव की मामी हैं उन्हें 8,854 वोट पड़े हैं. यानी आरजेडी के वोट सिर्फ एआईएमआईएम ने नहीं बीएसपी ने भी कांटे हैं. अगर ये दो वोट जोड़ दिया जाए तो यहां आरजेडी बड़े अंतर से बीजेपी को हरा रही थी. लेकिन हरा नहीं पाई.

तेजस्वी को फंसा, बच निकले नीतीश कुमार
उपचुनाव के नतीजों आरजेडी के लिए 50-50 प्रतिशत रहे. लेकिन प्रचार में माहिर बीजेपी ने इन नतीजों के जरिए न सिर्फ तेजस्वी को फेल करार दे दिया बल्कि ये एलान भी कर दिया कि बिहार की लड़ाई अब आरजेडी बनाम बीजेपी है. जेडीयू का अस्तित्व खत्म है.
हलांकि देखा जाए तो इस उपचुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना दाव खेला ही नहीं था. उन्होंने तो अपनी बिसात पर तेजस्वी को खड़ा कर दिया था. इसलिए हार सिर्फ तेजस्वी की नज़र आ रही है. जबकि तेजस्वी की तो ये लड़ाई थी ही नहीं. उन्हें तो सिर्फ अभिमन्यु की तरह अकेला मैदान में उतार दिया गया. मैदान भी ऐसा जहां एक नहीं तीन शिकारी थे. असल खिलाड़ी नीतीश तो दूर बैठे इस खेल को देख और समझ रहे थे. और अब उपचुनाव के बाद आए नतीजों का मज़ा भी वहीं लेंगे. एक तरफ जहां हार से हताश तेजस्वी चाचा के सामने सर झुका कर रखेंगे वहीं बिहार बीजेपी नीतीश कुमार की जेडीयू की समाप्ति की घोषणा कर निश्चिंत 2025 के मैदान में उतरेगी.

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news