2014 के बाद देश में आए बड़े राजनीतिक बदलाव में सबसे बड़ा हाथ कांग्रेस की यूपीए 1 और यूपीए 2 सरकारों की नाकामी को दिया गया. यूपीए 2 के दौरान हुए 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले, कोयला खदानों के आवंटन और कॉमनवेल्थ खेलों में कथित भ्रष्टाचार को लेकर इतना हंगामा हुआ की कांग्रेस सिर्फ सत्ता से बाहर नहीं हुई लोगों के दिलों से भी उतर गई.
यूपीए 1 और 2 को बताया गया कांग्रेस की नाकामियों का स्मारक
हालत ये हुई कि यूपीए सरकार के अच्छे काम जिसमें किसानों की कर्ज माफी, ‘काम के अधिकार’ (मनरेगा), सूचना के अधिकार, शिक्षा का अधिकार, भोजन का अधिकार, आधार कार्ड जैसे बड़े-बडे कदमों को भी बीजेपी ने गलत और बेकार साबित कर दिया. पीएम मोदी ने 2015 में लोकसभा में कहा था कि मनरेगा को समाप्त नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि 60 साल में गरीबी को समाप्त करने में कांग्रेस की विफलता का यह ‘जीता-जागता स्मारक’ है. इतना ही सूचना के अधिकार को आरटीआई संशोधन बिल 2019 के जरिए कमजोर कर दिया गया, इसमें ऐसा बदलाव किया गया कि केंद्रीय और राज्य स्तरीय सूचना आयुक्तों की सेवा शर्तें अब केंद्र सरकार तय करेगा के साथ ही सूचना आयुक्तों का सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर का दर्ज़ा भी ख़त्म किया गया.
कोरोना के समय मनमोहन सरकार की नीतियां आई पीएम मोदी के काम
हलांकि कोरोना के समय और उसके बाद मनरेगा और भोजन के अधिकार ने मोदी सरकार को बड़ी राहत दी. लेकिन बीजेपी का हमला कांग्रेस के खिलाफ जारी रहा और कांग्रेस को अपनी उपलब्धियों के गिनाने के बजाए हमेशा बचाव की मुद्रा में ही देखा गया. खासकर मुख्य धारा के समाचार घरानों में यूपीए1 और यूपीए 2 को भ्रष्टाचार और रिमोट से चलने वाले कमजोर प्रधानमंत्री के लिए ही याद किया गया.
मीडिया ने मनमोहन सिंह को याद करते हुए कांग्रेस के पाप धो डाले
लेकिन 26 दिसंबर 2024 के बाद यानी पिछले दो दिनों में इन्हीं मीडिया घरानों ने जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल को लेकर बखान शुरु किया उसमें ऐसा लगा कि कांग्रेस के सब पाप धुल गए. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर जो शोक संदेश दिया उसमें उन्हें बड़ा अर्थशास्त्री और ” लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए” कहकर उनकी सरकार पर लगाए अपने आरोपों का हल्का कर दिया.
इसके बाद तो पूरे दो दिन टीवी चैनलों ने मनमोहन सिंह का ऐसा बखान किया की जाते-जाते कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के लिए सबसे बड़ा काम कर गए.
चैनलों ने न सिर्फ मनमोहन सरकार की नीतियों जिसमें भोजन का अधिकार, मनरेगा, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, आधार कार्ड की तारीफ में कसीदे पड़े बल्कि 2008 में आई वैश्विक मंदी में डॉक्टर साहब ने कैसे देश को बचाया और विश्व पटल पर देश का नाम रोशन किया इसके भी सबूत दे डाले.
यूपीए 1 और 2 को बताया देश के लिए बेहतरीन
टीवी चैनलों ने भी बार बार बताया की यूपीए -2 के दौरान जो भ्रष्टाचार के आरोप मनमोहन सरकार पर लगे उसमें से एक भी साबित नहीं हुआ और सब आरोपी बरी हो गए.
यानी जो कांग्रेस पिछले 10 सालों में यूपीए 1 और 2 सरकार पर लगे आरोपों पर सिर्फ बचाव करने में लगी थी पिछले दो दिनों में मीडिया चैनलों ने उसपर लगे आरोपों पर न सिर्फ उसकी तरफ से सफाई दे डाली बल्कि आरोपों को निराधार बता उसे क्लीन चिट भी दे दी. साथ ही वो उपलब्धियां भी गिना दी जिसे कांग्रेस पार्टी भी भूल गई थी.
अर्थव्यवस्था ही नहीं रिमोट कंट्रोल की छवि पर भी दे डाली सफाई
मीडिया घरानों ने मनमोहन सिंह को याद करते हुए बताया की 2014 में जब वो सत्ता से बाहर हुए उस वक्त देश तीन ट्रिलियन अर्थव्यवस्था को छू चुना था. उनके विरासत में आर्थिक उदारवाद के साथ-साथ उनके गरीब परिवार से आने और उनके जीवन के संघर्षों को बताते हुए ये भी कहा गया कि मनमोहन सिर्फ बतौर अर्थशास्त्री सिर्फ पैसा कमाना नहीं उसको सही जगह खर्च करना भी जानते थे. उनके अमेरिका के साथ न्यूक्लियर समझौते को लेकर डटे रहने की चर्चा के दौरान कई वरिष्ठ पत्रकारों ने ये भी बताया कि कांग्रेस चाहती थी कि सरकार बचाने के लिए डॉक्टर साहब इस डील की जिद छोड़ दें. लेकिन मनमोहन सिंह डटे रहे उन्होंने सत्ता से ऊपर देश हित को रखा.
कुल मिलाकर कहें तो मीडिया घरानों ने मनमोहन सिंह का बखान ऐसा किया की, सामाजिक कार्यकर्ता सईदा हमीद का डॉक्टर साहब को याद कर लिखे लेख का वो शेर सच लगने लगा जो उन्होंने मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए अपने लेख में लिखा है.
नर्म दम ए गुफ्तगू गर्म बांध ए जुस्तजू
रज़्म हो या बज़्म हो पाक दिल ओ पाक बाज़
इसका मतलब है कि वाणी में कोमल, पर संघर्ष में दृढ़, चाहे लड़ाई हो या दावत..रहे हमेशा शुद्ध हृदय.
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