Monday, December 23, 2024

Uttarkashi Tunnel Rescue : बेटे को देख छलक आये पिता के आंसू ,गहने बेचकर बेटे से मिलने पहुंचे थे उत्तरकाशी

Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी के सिल्कयारा सुरंग में 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में तकरीबन 400 घंटे लगे. इन सबके बीच सुरंग में फंसे अपने बेटे मनजीत चौधरी का हाल जानने उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी के गांव भैरमपुर से उत्तरकाशी पहुंचे एक पिता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. उस वीडियो को देखकर सब बहुत भावुक हो रहे हैं. वायरल वीडियो में उन्हें यह बताते हुए सुना जा सकता है कि गहने गिरवी रख कर वह वहां पहुंचे थे, क्योंकि उनके पास किराये के लिए भी पैसे नहीं थे.

Uttarkashi Tunnel Rescue गहने बेचकर बेटे से मिलने पहुंचे पिता

मज़बूरी में उस बेटे के पिता ने गहने बेच दिए और नौ हज़ार रूपए जमा किये. इन रुपयों की सहायता से वह उत्तरकाशी अपने बेटे के पास पहुंचे. उत्तरकाशी में वो जब तक डटे रहे जब तक उनका बेटा बाहर नहीं आ गया. हड्डी का गला देने वाली ठण्ड के बावजूद एक बुजुर्ग पिता पूरी रात अपने बेटे का इंतज़ार करते रहे. इतनी मुश्किलों के बाद आखिरकार वह दिन आ गया जब बेटा बाहर आया और पिता के गले लगा. इस लम्हे को देखकर आस पास के लोग बहुत भावुक हो गए.

पहले बेटे की मौत ऐसे ही टनल हादसे में हुई थी… 

टनल में फंसे हुए मंजीत के पिता ने मीडिया से बात करते हुए दर्द भरी बातें कहीं जिसे सुनकर आँखों में आंसू आ जाए उन्होंने बताया कि उनके एक बेटे की मौत एक्सीडेंट में हो गई थी और दूर बेटा टनल में फंसा हुआ था, वो उसे खोना नहीं चाहते थे. बुजुर्ग पिता ने कहा हमारा एक ही पौधा बचा था,वो हमें मिल गया. बहुत खुशी है.

बेटे को अपने सामने देख भावुक हो गये पिता 

मंजीत के सुरंग से सुरक्षित बाहर निकलने के बाद पिता ने राहत की सांस ली. उन्होंने सबसे पहले बेटे का माथा चूमा फिर उसे गले से लगाया. बेहद सुकून देने वाले उस पल को सीएम धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह भी निहारते रहे. आसपास और भी तमाम लोग मौजूद थे. सभी के चेहरे पर खुशी झलक रही थी.

बेटे की वापसी पर  माँ  हुई निहाल

मंजीत की माँ ने बोला – बड़े बेटे की शादी के बचे हुए जेवर गिरवी रखकर उत्तरकाशी जाने के लिए किराए का इंतजाम किया. अब बेटा सुरक्षित आ गया है, जेवर-वेवर तो बनते रहेंगे. बड़े बेटे को खो चुके हैं, इसलिए मंजीत को लेकर अधिक चिंता थी. ये 17 दिन, 17 साल की तरह बीते हैं. उन्होंने उत्तराखंड सरकार और रेस्क्यू टीम में लगी सभी संस्थाओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि मंजीत जब गांव आएगा, तो हम भंडारा करेंगे. पूजा-पाठ भी करवाएंगे. भगवान ने उसे नई जिंदगी दी है.

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