नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कॉलेजों में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब गैर-शैक्षणिक (नाॅन-टीचिंग) पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
इनमें से कई पद यूजीसी की ओबीसी एक्सपेंशन योजना के तहत स्वीकृत थे, जिन्हें अब तक नियुक्तियां नहीं की जा सकती थीं। अरबिंदो काॅलेज ने इसके लिए रविवार को विभिन्न नाॅन-टीचिंग पदों के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की।
काॅलेज के स्थायी प्रिंसिपल प्रो. अरुण चौधरी ने कहा कि जैसे शिक्षकों की नियुक्ति महत्वपूर्ण है, वैसे ही काॅलेज संचालन के लिए स्थायी नाॅन-टीचिंग स्टाफ भी उतना ही आवश्यक है।
पिछले नौ वर्ष से गैर शैक्षणिक पदों पर नहीं हुई थीं नियुक्तियां
उन्होंने कहा कि काॅलेज में पिछले नौ वर्षों से स्थायी प्रिंसिपल नहीं होने के कारण गैर-शैक्षणिक पदों पर नियुक्तियां नहीं हो सकी थीं।
पदों का विज्ञापन निकाला तो गया था, परंतु प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। स्थायी प्रिंसिपल नियुक्त होने के बाद उन्होंने नाॅन-टीचिंग पदों का रोस्टर तैयार करवाया।
विश्वविद्यालय से मंजूरी प्राप्त कर विज्ञापन जारी किया और अब परीक्षा आयोजित कर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है।
उन्होंने कहा कि काॅलेज में पुस्तकालय, लेखा विभाग, प्रयोगशालाएं, कंप्यूटर लैब, फीस संग्रहण, वेतन प्रबंधन विभाग के लिए स्थायी कर्मचारियों की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
31 मार्च 2023 तक करनी थीं नियुक्तियां, मगर नहीं की गईं
कॉलेज के मीडिया संयोजक डाॅ. हंसराज सुमन ने बताया कि यूजीसी ने ओबीसी विस्तार योजना के तहत नॉन-टीचिंग पदों को भरने के लिए 31 मार्च 2023 तक का समय दिया था। बावजूद इसके, कई काॅलेजों ने इन पदों को नहीं भरा।
डाॅ. सुमन ने कहा कि अधिकांश कालेजों में यह सीटें अभी भी खाली हैं और कई प्रिंसिपल नियुक्ति में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
ओबीसी एक्सपेंशन के तहत सबसे अधिक पद हैं खाली
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के काॅलेजों में ओबीसी एक्सपेंशन के सबसे अधिक नाॅन-टीचिंग पद खाली हैं। कई प्रिंसिपल इसे भरने में गवर्निंग बाॅडी की मंजूरी का बहाना बनाते हैं, जबकि शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति में यह बाधा नहीं बनी।
कहा कि वे जल्द ही डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह और कुलसचिव डाॅ. विकास गुप्ता से मिलकर सभी काॅलेजों में नाॅन-टीचिंग पदों को भरने की मांग रखेंगे।