Sunday, July 6, 2025

इस नवरात्र क्या संकेत लेकर आ रही है मां दूर्गा की सवारी..जानिये नवरात्रों पर कब और कैसे करें घटस्थापना

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Navratri Kalash Sthapana :  देश भर में चैत्र नवरात्री की तैयारियां शुरु हो गई हैं. पंडालों में माता दूर्गा की प्रतिमाओं को बनाने और उसे पूरा करने का काम तेजी से चल रहा है क्योंकि इस साल चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है, जो 6 अप्रिल तक चलेगी. चैत्र नवरात्र से हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है. चैत्र नवरात्र को हर साल पूरे धूमधूम से मनाया जाता है क्योंकि नवरात्र की नवमी तिथी को मर्दापुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मदिन यानी रामनवमी के रुप में मनाया जाता है.

Navratri Kalash Sthapana के लिए शुभ मूहूर्त 

 नवरात्र के दौरान महिषासुर मर्दनी देवी दूर्गा के नौ रुपों की पूजा होती है और हर दिन देवी के एक स्वरुप को समर्पित रहता है, लेकिन भारतीय ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक नवरात्री के दिन और पहर तय किये जाते हैं और इसी शुभ घड़ी में देवी की पूजा होती है. इस साल  9 दिन की होने वाली नवरात्री केवल 8 दिन की होगी. इस साल पंचमी तिथी का लोप हो रहा है जिसके कारण अष्टमी और नवमी तिथी एक ही दिन पड़ेगी. ऐसे में एक दिन कम होकर नवरात्र केवल 8 दिन का ही होगा.

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत ही इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रही है, जो इस पालन अवसर को और अधिक शुभ बनाता है. इस दिन अति शुभ इंद्र योग भी बन रहा है, जिससे पूजा-पाठ का महत्व और बढ़ जाता है.
नवरात्रों के दौरान कलश स्थापन का खास महत्व होता है क्योंकि माना जाता है कि हम कलश की स्थापना करके ही माता दूर्गा का आवाहन करते हैं.माता दूर्गा घर में स्थापित कलश के माध्यम से ही अगले 10 दिन तक आपके घर परिवार पर अपनी कृपा बरसाती हैं.
आइये आपको बताते हैं कि कि इस साल नवरात्रों के लिए कलश स्थापना का सही समय क्या है ?
घटस्थापना का शुभ समय 30 मार्च को सुबह 6 बजकर 13 से शुरु होकर 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. इसी दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12बजकर 1 मिनट से लेकर दोपहर 12बजकर 50 मिनट तक रहेगा. अगर आप किसी कारण वश सुबह के समय कलश स्तापना नहीं कर पाये हों तो अभिजीत मूहूर्त में भी ये किया जा सकता है लेकिन कोशिश होनी चाहिये कि सुबह के मूहूर्त में ही कलश स्थापिक किया जाये. शात्रों के मुताबिक रात के समय कलश स्थापना नहीं करनी चाहिए. पूजा के दौरान भक्तो को माता दूर्गा को उनके प्रिय लाल रंग के फूल समर्पित करने चाहिये और शुद्ध देसी घी के दिये जलाने चाहिये.

सुबह 6: 13 बजे से 10 : 22 बजे तक 

अभिजीत मूहूर्त – 12:01 से 12.50 तक

किस वाहन से आ रही है देवी दूर्गा की सवारी ?

भारतीय परंपरा के मुताबिक इस बार माना जा रहा है कि हर बार देवी दुर्गा जिस वाहन पर सवार होकर आती है, उससे आने वाले पूरे साल पर असर पड़ता है. अगर देवी सोमवार को आ रही हैं तो वो हाथी पर सावल होकर आयेंगी. हाथी पर माता का आना  बेहद शुभ संकेत है. शास्त्रों के अनुसार यदि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो यह समृद्धि, शांति और अच्छी वर्षा का संकेत होता है. इससे धन-धान्य में वृद्धि होती है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है. खास बात यह है कि इस बार मां दुर्गा हाथी पर ही प्रस्थान भी करेंगी, जो बहुत ही शुभ माना जाता है.

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