Sunday, July 6, 2025

वक्फ संशोधन बिल पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल किया हलफनामा

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Wakf Amendment Bill : केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है. केंद्र सरकार ने अपने जवाब में वक्फ संशोधन कानून का बचाव करते दलील दी है कि पिछले 100 साल से वक्फ बाई यूजर को पंजीकरण के आधार पर मान्यता दी जाती है, ना कि मौखिक रूप से.

Wakf Amendment Bill : वक्फ बोर्ड कोई धार्मिक नहीं वैधानिक संस्था है – केंद्र सरकार  

केंद्र सरकार ने हलफनामे में ये भी कहा है कि वक्फ बोर्ड मुसलमानों की कोई धार्मिक संस्था नहीं बल्कि एक वैधानिक संस्था है. यहां मुतवल्ली का काम धार्मिक ना होकर  धर्मनिरपेक्ष होता है . नये कानून को सरकार ने चुने जनप्रतिनिधियों की भावनाओं के आधार पर तैयार किया है और इसे बहुमत से  पारित भी किया गया है.

जेपीसी की सिफारिशों और बहुमत से पास हुआ बिल – केंद्र सरकार 

केंद्र सरकार ने कोर्ट में दिये अपने हलफनामा में कहा गया है कि हमारे देश में  संसद के द्वारा पारित कानून को संवैधानिक रूप से वैध माना जाता है. खास कर तब जब ये कानून संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी की सिफारिशों के आधार और संसद में व्यापक बहस के बाद बना हो.

‘कोर्ट बिल के किसी प्रावधान पर ना लगाये रोक’ – केंद्र सरकार 

केंद्र सरकार ने सुप्रीम अदालत से अनुरोध किया कि वो इस कानून के किसी भी प्रावधान पर अंतरिम रोक ना लगाए. सरकार न दलील दी है कि क्फ संशोधित कानून से किसी के भी वक्फ बनाने के धार्मिक अधिकार के साथ कोई हस्तक्षेप नहीं होता है. केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और इसमें पारदर्शिता को  सुनिश्चित करने के लिए कानून में संशोधन किया गया है.

केंद्र सरकार का तर्क है कि वक्फ संशोधन कानून को बनाने के लिए सरकार की बनाई गई जेपीसी की 36 बैठकें हुई जिसमें 97 लाख से ज्यादा हितधारकों ने अपने सुझाव और ज्ञापन दिए थे. केंद्र सरकार की बनाई समिति ने पूरे देश के दस बड़े शहरों का दौरा किया था और वहां से जनता की रायशुमार के बाद ही कानून को आखिरी रुप दिया गया.

सरकार की तरफ से कहा गया है कि सर्वोच्च अदालत में दायर याचिकाओं में किसी भी व्यक्तिगत मामले में अन्याय की शिकायत नहीं की गई है, ऐसे में ये किसी नागरिक अधिकार का मसला नहीं है.

इस मामले की तुलना किसी हिन्दू धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन से करना ही निराधार है. ये कानून मुस्लिम समाज की बेहतरी और पारदर्शिता के लिए लाया गया है,इससे किसी के धार्मिक और संवैधानिक अधिकार का हनन नहीं होता है.

केंद्र सरकार अपने अपने हलफनामें  में एक बार फिर से साफ किया है कि वक्फ परिषद और बोर्ड के 22 सदस्यों में अधिकतम दो सदस्य हा गैर-मुस्लिम होंगे.

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