Medha Patkar :सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पटाकर को 23 साल पुराने मानहानि के मामले में दिल्ली के साकेत को सजा सुनाई है. मेधा पाटकर को 5 महीने जेल और 10 लाख रुपये का जुर्माना किय़ा है. दिल्ल की साकेत कोर्ट ने उस मामले पर आज फैसला सुनाया थे जो दिल्ली के उप राज्यपाल विनय सक्सेना ने केवीआईसी चेयरमैन रहते हुए नर्मदा आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर दर्ज कराया था. विनय सक्सेना ने मेधा पाटकर पर मानहानि का मामला दर्ज कराया था. कोर्ट ने मेधा पाटकर को वी के सक्सेना को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है.कोर्ट ने मेधा पाटकर को सजा के खिलाफ अपील के लिए 30 दिन का समय दिया है . इन तीस दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया गया है.
हलांकि सजा के ऐलान के बाद दिल्ली उपराज्यपाल वीके सक्सेना के तरफ से पेश वकील ने कहा कि उन्हें मुआवजा नहीं चाहिए,वे इसे दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) को देंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता को मुआवजा दिया जाएगा, फिर आप अपनी इच्छानुसार इसका निपटान कर सकते हैं.
Medha Patkar के खिलाफ क्या है मानहानि का मामला ?
साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पिछले महीने 25 मई को मेधा पाटकर को IPC की धारा 500 के तहत आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दिया था. विनय सक्सेना ने मेधापाटकर पर ये मामला 2001 में नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष रहते हुए किया था. विनय सक्सेना ( वर्तमान में दिल्ली के उप राज्यपाल) ने मेधा पटकर पर आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था. विनय सक्सेना ने मेधा पटकर पर उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया था.
2001 में मेधा पाटकर ने 40 लाख का चेक बाउंस होने पर लगाया था आरोप
2001 में ‘देशभक्तों का असली चेहरा’ नाम से एक प्रेस रीलीज करके पाटकर ने कहा था कि “वी.के. सक्सेना जो एनबीए की प्रशंसा करते है, उन्होने ₹40,000 का चेक दिया,लेकिन चेक बाउंस हो गया. जांच करने पर बैंक ने बताया कि खाता ही नहीं है.” प्रेस नोट में कहा गया है कि चेक लालभाई समूह से आया था. मेधा पाटेकर ने आरोप लगाते हुए सवाल पूछा था कि “लालभाई समूह और वी.के. सक्सेना के बीच क्या संबंध है ? उनमें से कौन अधिक देशभक्त है?”
वीके सक्सेना ने अहमदाबाद में दर्ज कराई थी रिपोर्ट
वीके सक्सेना ने अहमदाबाद में एक स्थानीय अदालत में शिकायत दर्ज कराई और कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2002 में मामला साकेत कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था. अदालत ने मेधा पाटकर को दोषी ठहराते हुए कहा कि उनकी हरकतें जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण थीं.” शिकायतकर्ता को ‘कायर’ और ‘देशभक्त नहीं’ कहने का उनका फैसला उनके व्यक्तिगत चरित्र और राष्ट्र के प्रति वफादारी पर सीधा हमला था,”