सहरसा सहरसा में एम्स (AIIMS) की मांग को लेकर आज कुछ राजनीतिक दलों ने बंद का आह्वाण किया जिसमें हाल ही में जेल से छूठे आनंद मोहन सिंह(Anand Mohan )और उनकी पत्नी लवली आनंद भी नजर आई. दरअसल इस बंद को बुलाने में आनंद मोहन (Anand Mohan )ने बड़ी भूमिका निभाई. बंद के दौरान एक खास बात नजर आई . बंद के दौरान जहां आरेडी और जेडीयू ने दूरी बनाई वहीं बीजेपी के नेता आनंद मोहन के साथ साथ नजर आये.
Anand Mohan के बंद के आह्वान का व्यापक असर
पिछले 20 साल से जेल में रहने के बावजूद आनंद मोहन सिंह का दबदबा कहिये या असर कि सहरसा बंद का शहर में खासा प्रभाव देखने के लिए मिला. शहर के एम्स संघर्ष समिति ने इस बंद का आह्वाण किया जिसमें सहरसा से ही सांसद रहे आनंद मोहन ने इसकी अगुवाई की. आनंद मोहन ने बंद के दौरान मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब सहरसा का हक हम छीन कर लेंगे. सहरसा के पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि हमसे पुरखों की विरासत छीन ली गई. उसे हम लड़कर वापस लेंगे.सहरसा में एम्स, मेडिकल कॉलेज, एयरपोर्ट, ओवरब्रिज और विश्व विद्यालय बनाने की मांग की. हलांकि ये मांग आनंद मोहन ने किससे किया ये साफ नहीं हैं, क्योंकि कुछ मांगो को पूरा करने का उत्तर दायित्व केंद्र सरकार का है , जैसे (AIIMS, AIRPORT) आदि बनााने का निर्णय जहां केंद्र को लेना है वहीं अन्य मांगे राज्य सरकार के दायरे में आती हैं. एयरोपोर्ट , एम्स के लिए भी जमीने राज्य सरकार देगी , वहीं उनपर निर्माण केंद्र सरकार को करना होता है.
सहरसा बंद में एक बात खास तौर से नजर आई कि यहां बंद के लिए किसी राजनीतिक संगठन की ओर से दवाब नहीं था बल्कि लोगो स्वेच्छा से बंद में शामिल हुए. भाजपा के लोग भी आनंद मोहन और लवली सिंह के साथ नजर आये. वहीं आरजेडी और जेडीयू के लोगों ने बंद से दूरी बना कर रखा. भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दल के नेता और कार्यकर्ता भी आंदोलन के समर्थन में रहे, वहीं राजद और जदयू ने इस बंद से दूरी बनाए रखा.
बंद में कई संगठनों ने हिस्सा लिया
आज के सहरसा बंद में शहर के तमाम व्यवसायिक संगठन , समाजिक संगठनों, मेडिकल एसोसियेशन , बस- ई रिक्शा एसोसियेशन होटल व्यवसायी संघ ने का समर्थन किया. पुलिस ने हंगामे की आशंका को देखते हुए पूरे शहर में कड़े सुरक्षाबंदोबस्त किया. सुबह सात बजे से ही सड़को पर पुलिस बल तैनात कर दिये गये थे .
सहरसा में लंबे समय से हो रही है एम्स की मांग
आपको बता दें केंद्र सरकार ने सहरसा में भी एम्स बनाने की मंजूरी दी थी,मंजूरी मिलने के बावजूद कई वर्षो के बाद भी शहर को एम्स नहीं मिला है . इस मांग को पूरा करने के लिए कई दिनों से विभिन्न संगठनों के लोग शहर में नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से सवाल उठा रहे थे. अब पूर्व सांसद आनंद मोहन ने इस मांग को पूरा कराने के लिए मोर्चा संभाल लिया है.
Anand Mohan के टरागेट पर कौन ?
ऑन ड्यूटी अफिसर जी कृषणैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट कर बाहर आये आनंद मोहन को जेल से बाहर निकालने के लिए बिहार की नीतीश सरकार ने जेल मैनवल में बदलाव किया और उम्र कैद की सजा को खत्म कर उसे आजाद कराया.
वहीं आनंद मोहन की सजा को खत्म करने के खिलाफ राज्य में अगर कोई पार्टी सबसे मुखर रही तो वो बीजेपी थी. बीजेपी ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नीतीश कुमार पर आपरिधियों का साथ लेने तक का आरोप लगाया और इस्तीफे तक की मांग कर डाली. लेकिन आज के विरोध प्रदर्शन में आनंद मोहन औऱ लवली आनंद के साथ बीजेपी के कई स्थानीय नेता दायें-बायें नजर आये.वहीं जिस आरजेडी -जेडयू सरकार ने आनंद मोहन को जेल से निकलवाया, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट तक में आनंद मोहन के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, वही आरडजेडी – जेडीयू आज के सहरसा बंद के आह्वान पर आनंद मोहन से किनारा करते नजर आये.
अब सवाल ये है कि अब इसका क्या अर्थ निकाला जाये ? क्या आनंद मोहन से बीजेपी की बढ़ रही है नजदीकियां य़ा सीएम नीतीश कुमार अपनी छवि को साफ रखने के लिए आनंद मोहन से कर रहे हैं किनारा ?