Monday, December 23, 2024

मीडिया सिर्फ एकतरफा ख़बरें दिखाता है-नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजधानी पटना में एक बड़ा बयान दिया. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि आज कल मीडिया सिर्फ एकतरफा ख़बरें दिखाता है.मीडिया में विपक्ष की ख़बरे होती ही नहीं हैं. मीडिया पर एक पार्टी का नियंत्रण हो गया है.अखबार हो या टीवी चैनल सब पर एकतरफा खबरें दिखाई जाती हैं. दूसरे लोग क्या कर रहे हैं, इसपर कोई बात नहीं होती है.ये लोग (केंद्र की बीजेपी सरकार )प्रचार प्रसार वाले लोग हैं. हम लोग प्रचार प्रसार वाले नहीं हैं, ना ही हमारे पास वो श्रोत हैं जिसे प्रचार तंत्र पर खर्च किया जा सके ये (धन) कहां कहां से लाते हैं..इन लोगों ने मीडिया को नियंत्रित किया हुआ है.
नीतीश कुमार इससे पहले भी मीडिया पर एक तरफा खबर दिखाने और एक पार्टी का महिमा मंडन करने का आरोप लगा चुके हैं. वैसे नीतीश कुमार पहले विपक्षी नेता नहीं हैं जिन्होंने मीडिया पर इस तरह का आरोप लगाया है .

राहुल गांधी भी लगा चुके हैं मीडिया पर आरोप

कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष राहुल गांधी तो अपनी तकरीबन हर प्रेसवार्ता में पत्रकारों पर निशाना साधते हैं.वह कई बार ये भी कह चुके हैं कि गलती आपकी नहीं है आपको नौकरी करनी है जैसा मालिक कहता है आप वैसा ही करते हैं. राहुल ने कई बार मीडियाकर्मियों को आड़े हाथों लेते हुए ये भी कहा कि जो सवाल आप मुझ से पूछ रहे हैं असल में आपको सत्ता पक्ष से पूछने चाहिए. उन्होंने कहा कि लेकिन वहां आपको सवाल पूछने की आज़ादी नहीं है.

अरविंद केजरीवाल ने भी लगाया था मीडिया पर आरोप

अभी दो दिन पहले गुजरात में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने भी आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार की तरफ से मीडिया हाउसेस को निर्देश दिये जाते हैं कि किसकी खबर चलानी है , किसकी नहीं .आप नेता अरविंद केजरीवाल ने तो बीजेपी के मीडिया प्रमुख हीरेन जोशी का नाम लेते हुए कहा कि बीजेपी की तरफ से चैनलों और संपादकों को धमकाया जाता है.

मीडिया के अंदर से भी उठी है नियंत्रण होने की बात

कई पत्रकार जिसमें बड़े पत्रकार भी शामिल हैं मीडिया पर सरकारी नियंत्रण का आरोप लगा चुके हैं. गोदी मीडिया शब्द भी खुद मीडिया की ही देन है. सरकार से जुड़े कई मामलों पर मीडिया की चुप्पी भी इन आरोपों का समर्थन करती नज़र आती है. खासकर टीवी पत्रकारों ने तो खुल कर अपने चैनलों में सरकारी नियंत्रण और एजेंडा सेट करने के आरोप लगाए हैं.
सभी संवैधानिक संस्थाओं के साथ मीडिया पर भी सरकारी नियंत्रण का आरोप आजकल आम है. लोकतंत्र का चौथा पिलर यानी स्तंभ सवालों के घेरे में है.सरकार, संसद,न्यायपालिका के साथ-साथ पत्रकारिता को भी लोकतंत्र की बुनियाद माना गया है.जहां बाकी सभी का काम जन कल्याण से जुड़ा है वही पत्रकारिता पर जिम्मेदारी इन बाकी के तीन स्तंभों पर नज़र रखने की , सही सवाल पूछने की और जनता तक सही ख़बर पहुंचाने की है. स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आजादी के बाद के सामाजिक, राजनीतिक परिवर्तनों चाहे वो जेपी आंदोलन हो या फिर अन्ना का आंदोलन लोकतंत्र के इस चौथे पिलर का अतुलनीय योगदान रहा है. सन 1975 में मीडिया को नियंत्रित करने का आरोप इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी पर भी लगा था, इमरजेंसी के खिलाफ पत्रकारों ने भी मोर्चा संभाला था लेकिन आजादी के 75 साल बाद एक बार फिर इस चौथे स्तंभ पर सवाल उठ रहे हैं.

मीडिया पर नियंत्रण की बात केवल राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि समाचार जगत के लोग भी कर रहे हैं. व्यापारिक घरानों के मिल्कियत बन गए मीडिया हाउसेस पर सवाल उठना लाजिमी भी है लेकिन जवाब में सोशल मिडिया पर कलम के सिपाही अपनी आवाज़ भी बुलंद किए हुए हैं. आज कल टीवी समाचार इंडस्ट्री में एक शब्द बेहद चर्चित है, गोदी मीडिया .ये शब्द भी वर्तमान मीडिया जगत के खोखलेपन को उजागर करता है.

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