शुक्रवार को लखनऊ में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी Rahul Gandhi ने दो दिन पहले लिखी पूर्व जस्टिस बी लोकुर, पूर्व जस्टिस अजीत पी शाह और वरिष्ठ पत्रकार एन राम की चिट्ठी में किए गए सार्वजनिक बहस की पेशकश को स्वीकार कर लिया. राहुल गांधी ने लिखा, “मैं 100% किसी भी मंच पर प्रधानमंत्री से ‘जनता के मुद्दों’ पर डिबेट करने को तैयार हूं, पर मैं उन्हें जानता हूं, वो 100% मुझसे डिबेट नहीं करेंगे.”
मैं 100% किसी भी मंच पर प्रधानमंत्री से ‘जनता के मुद्दों’ पर डिबेट करने को तैयार हूं,
पर मैं उन्हें जानता हूं, वो 100% मुझसे डिबेट नहीं करेंगे। pic.twitter.com/lxB8AqlzfN
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 10, 2024
पूर्व जस्टिस और पत्रकार ने पीएम मोदी और Rahul Gandhi को चिट्ठी लिखी थी
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी लोकुर, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अजीत पी शाह और द हिंदु अखबार के पूर्व एडिटर एन राम ने पीएम मोदी और राहुल गांधी के नाम एक खुली चिट्ठी लिखी है, जिसमें दोनों नेताओं को देश के ज्वलंत मुद्दों पर सार्वजनिक बहस के लिए आमंत्रित किया गया है.
चिट्ठी में कहा गया है कि “हमारा मानना है कि सार्वजनिक बहस के माध्यम से हमारे राजनेताओं को सीधे सुनने से नागरिकों को अत्यधिक लाभ होगा. हमारा मानना है कि इससे (खुली बहस से) लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने में मदद मिलेगी.
इस चिट्ठी में कहा गया है कि आपने विभिन्न क्षमताओं के साथ देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाया है. हम आपके पास एक ऐसा प्रस्ताव लेकर आये हैं , जिसके बारे में हमारा मानना है कि यह किसी एक पक्ष में नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक के हक में है. 18 वीं लोकसभा के लिए मतदान मध्य में पहुंच चुका है. रैलियों और सार्वजनिक संबोधनों के दौरान सत्तारुढ़ बीजेपी और विपक्षी दल ने संवैधानिक लोकतंत्र से संबंधित कई सवाल पूछे हैं.
पत्र में लिख गया है कि पीएम ने आर्टिकल 370, आरक्षण, धन पुनर्वितरण पर कांग्रेस को सार्वजनिक रुप से चुनौती दी है. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने संविधान, चुनावी बांड औऱ चीन के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर सवाल पूछे हैं और उन्हें सार्वजनिक बहस की चुनौती दी है . दोनों पक्षों ने अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र में सामाजिक न्याय की संवैधानिक रुप से संरक्षित योजना पर अपने रुख के बारे में एक दूसरे से सवाल पूछे हैं.
पत्र में आखिर में कहा गया है कि इन मुद्दों पर दोनों नेताओं की तरफ से सार्वजनिक बहस की जाये, जिससे जनता को फायदा हो. दोनों नेताओं के विचार सुनकर जनता सीधे ये तय कर सकेगी कि उसे किसका समर्थन करना है. इससे जागरूकता बढ़ेगी और लोग ज्यादा जानकारी के साथ अपना मत दे सकेंगे.
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