कर्नाटक हाई कोर्ट ने कुछ सोशल मीडिया खाते और ट्वीट्स को ब्लॉक करने के केंद्र के आदेशों के खिलाफ दायर ट्विटर की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. भारत सरकार के आदेशों का पालन न करने पर हाई कोर्ट ने कंपनी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.
सरकार ने कहा कोर्ट ने हमारी बात पर मोहर लगाई
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अदालत ने इस मामले पर सरकार के रुख को बरकरार रखा है और कहा है कि “देश के कानून का पालन किया जाना चाहिए.”
अदालत के आदेश के बाद उन्होंने कहा, “माननीय अदालत हमारे रुख पर कायम है. देश के कानून का पालन किया जाना चाहिए.”
पिछले साल, ट्विटर ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा उसे जारी किए गए आदेशों को चुनौती दी थी.
केंद्र ने ट्विटर को फरवरी 2021 और फरवरी 2022 के बीच कई सोशल मीडिया अकाउंट और ट्वीट्स को ब्लॉक करने के लिए कहा था. ट्वीटर ने इनमें से 39 ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी थी.
क्या है पूरा मामला
2022 में, ट्विटर ने नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के तहत अपने प्लेटफॉर्म से सामग्री को हटाने के केंद्र के आदेश को चुनौती देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
2022 में याचिका की सुनवाई के दौरान, ट्विटर ने उच्च न्यायालय को बताया कि किसी खाते को ब्लॉक करने के लिए केंद्र द्वारा जारी आदेश में इसके कारणों को सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. इसने एक मानदंड स्थापित करने पर भी जोर दिया ताकि जरूरत पड़ने पर आदेश (आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए के तहत जारी) को चुनौती दी जा सके.
इस बीच, केंद्र ने उच्च न्यायालय को बताया था कि ट्विटर कई वर्षों से “आदतन गैर-अनुपालन वाला मंच” रहा है.
भारत सरकार ने कहा कि ब्लॉकिंग आदेश जारी करने से पहले सरकार और ट्विटर प्रतिनिधियों के बीच लगभग 50 बैठकें हुईं थी.
केंद्र ने अदालत को यह भी बताया था कि “देश के कानूनों का पालन न करने का ट्विटर का स्पष्ट इरादा था”
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