Thursday, March 13, 2025

500 रूपए के कर्ज से NO. 1 यूनिवर्सिटी तक, ऐसी है Lovely Professional University की कहानी

Lovely Professional University Success Story: इस दुनिया में हर एक सफल शख्स की कहानी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनती है. कभी एक कॉलेज ड्राप आउट दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी का मालिक बन जाता है. तो कभी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाला शक्श देश का प्रधानमंत्री बन जाता है. ऐसे अनेकों कहानियां है जो आपके हमारे बीच मौजूद है और हमे प्रेरणा देती हैं कुछ करने की. ठीक ऐसी ही एक कहानी सच्ची कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं. कहानी एक ऐसे सपने की जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया.

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी को मिल चुका है बेस्ट प्राइवेट यूनिवर्सिटी का अवॉर्ड

हम बात कर रहे हैं लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की. जैसा कि आप जानते हैं आज के दौर में ये यूनिवर्सिटी देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटीज में से एक है. इसमें देश-विदेश के करीब 35,000 बच्चे पढ़ते हैं. जालंधर में इस यूनिवर्सिटी का कैंपस 600 एकड़ में फैला हुआ है. UGC से मान्यता प्राप्त इस यूनिवर्सिटी में डिप्लोमा और ग्रेजुएशन से लेकर डॉक्टरेट तक 200 से ज्यादा कोर्स कराये जाते हैं.

क्या आप जानते हैं इस यूनिवर्सिटी की शुरआत कैसे हुई ?  इस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अशोक कुमार मित्तल ने जब इस यूनिवर्सिटी की शुरुआत की थी तो कुछ लोगों ने उनका मजाक उड़ाते हुए कहा था कि लड्डू बेचने वाले अब डिग्री बांटेंगे और देखिये आज इस विश्वविद्यालय की अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, ब्राजील, चीन, स्पेन और पोलैंड की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज के साथ पार्टनरशिप है. इसे बेस्ट प्राइवेट यूनिवर्सिटी का अवॉर्ड भी मिल चुका है. यही अशोक कुमार मित्तल आज पंजाब से आम आदमी पार्टी के राज्य सभा के सदस्य भी हैं.

दोस्त से 500 रुपये कर्ज लेकर मित्तल ने खोली थी मिठाई की दुकान

तो आइये आज अशोक मित्तल की फर्श से अर्श तक की कहानी जानते हैं. अशोक कुमार मित्तल के पिता बलदेव राज मित्तल ने साल 1961 में अपने एक दोस्त से 500 रुपये कर्ज लेकर जालंधर में लवली स्वीट्स नाम से मिठाई की एक दुकान खोली थी. उस समय पंजाब में मोटी बूंदी वाली लड्डू का प्रचलन था. बलदेव राज ने मोतीचूर के लड्डू बनाए और यह हिट हो गया. अशोक मित्तल के मुताबिक उनकी दुकान की पहचान यह थी कि वहां साफ-सुथरी और ढकी हुई मिठाइयां मिलती थी. उनकी दुकान की लोकप्रियता बढ़ने लगी और साल 1969 आते-आते उन्होंने शहर में तीन दुकानें खोल लीं. आज जालंधर और उसके आसपास के इलाकों में मित्तल परिवार के दस से ज्यादा स्वीट स्टोर हैं. साथ ही परिवार ने बेकरी का काम भी शुरू किया है.

बजाज ने खारिज की थी अशोक मित्तल डीलरशिप एप्लीकेशन

अशोक मित्तल ने अमृतसर की गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएशन करने के बाद अपने फैमिली बिजनस को जॉइन किया. पिता से बिजनस के दांवपेंच सीखे. सबसे बड़ी सीख यही थी कि डर के आगे जीत है. यानी किसी भी बिजनस में उतरो तो उसमें डूब जाओ. अशोक मित्तल ने जब साल 1991 में बजाज स्कूटर की डीलरशिप के लिए अप्लाई किया तो बजाज ने उनकी एप्लिकेशन खारिज कर दी थी. बजाज का कहना था कि उनकी हालत इतनी भी खराब नहीं हुई है कि लड्डू बेचने वालों को अपनी डीलरशिप दें. लेकिन जब बजाज वाले जालंधर आए और उन्हें मित्तल की कारोबारी क्षमता का पता चला तो उन्होंने डीलरशिप दे दी.

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लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी को ऐसे बनाया नंबर 1 यूनिवर्सिटी

इसके बाद परिवार को 1996 में मारुति की डीलरशिप भी मिली. आज जालंधर और उसके आसपास लवली ऑटो के 25 से ज्यादा स्टोर हैं. इसके बाद आई लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी का नंबर. बिजनस चल निकलने के बाद परिवार ने समाज की बेहतरी का लक्ष्य लेकर इस यूनिवर्सिटी की स्थापना की. उस समय पंजाब में कोई प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी नहीं थी. साल 1999 में उन्होंने अपना संस्थान खोला और इसे नाम दिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज. इसे पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (PTU) से रजिस्टर्ड कराया गया.

यूनिवर्सिटी ने 2006 में किया तरह पहला सेशन शुरू

मित्तल ने 2003 में यूनिवर्सिटी का दर्जा पाने के लिए पंजाब सरकार के पास अप्लाई किया और 2005 में इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा मिल गया. इसे नाम दिया गया लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी. यूनिवर्सिटी ने 2006 में पहला सेशन शुरू किया था. अभी इसमें दुनिया के 50 से ज्यादा देशों के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. इसमें 35 हज़ार छात्र हैं. यूनिवर्सिटी का कैंपस 600 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 3500 से अधिक एकेडमिक स्टाफ है. लवली ग्रुप का सालाना टर्नओवर करीब 1135 करोड़ रूपए है और सिर्फ 5500 लोगों का स्टाफ है. ग्रुप की अब रियल एस्टेट, EV, चार्जिंग सेंटर, बैटरी निर्माण, आफ्टर सेर्वुस और रिटेल में भी उतरने की प्लानिंग है.

 

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