Dr. Kiran Martin : जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता और आशा नामक गैर सरकारी संगठन की संस्थापक पद्मश्री डॉ. किरण मार्टिन को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न यूनिवर्सिटी ने डॉक्टर ऑफ लॉ की मानव उपाधि से सम्मानित किया है. डॉक्टर किरण मार्टिन को यह सम्मान झुग्गियों में रहने वाले गरीब लोगों खासकर बच्चों के स्वास्थ्य और उनके सामुदायिक विकास के लिए किए गए उनके परिवर्तनकारी कार्यों के लिए दिया गया है.
Dr. Kiran Martin को 2002 में मिला पद्मश्री
डॉ किरण मार्टिन ने दिल्ली और उसके आसपास की लगभग 95 झुग्गी बस्तियों के स्वास्थ्य और सामुदायिक विकास की दिशा में काम किया है. ये वो इलाका है, जहां कि आबादी करीब 70 लाख है. इस इलाके में उनके विशिष्ट काम के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2002 में चौथे सर्वोच्य नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था.
अब अस्ट्रेलिया की मेलबर्न यूनिवर्सिटी ने उन्हें उनके विशिष्ट समाज सेवा के लिए मानद उपाधि से सम्मानित किया है. डॉक्टर किरण इस सम्मान से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय महिला है. इसके पहले 2010 में प्रख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर को मेलबर्न यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद डिग्री प्रदान कर उनके प्रतिभा का सम्मान किया था. डॉक्टर किरण ने यूनिवर्सिटी से मिले अपने इस सम्मान को झुग्गी बस्तीयों में रहने वाले लोगों को समर्पित किया है.
डॉ किरण मार्टिन की उपलब्धियां
डॉ. किरण मार्टिन को समाज सेवा के क्षेत्र मे किये गये उनके विशिष्ट काम के लिए जाना जाता है. उनकी बड़ी उपलब्धियों में एक उपलब्धि ये भी है कि उन्होंने आशा फाउंडेशन के लिए अस्ट्रेलिया के सिडनी यूनिवर्सिटी,क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी और मेलबर्न यूनिवर्सिटी के साथ समझौता किया और इन समझोतों के तहत आशा फाउंडेशन के तहत इन्होंने झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले छात्रों के लिए विदेश में मास्टर और डॉक्टरेट कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए विशेष छात्रवृत्ति शुरू की. डॉ किरण मार्टिन के ही प्रयासों का नतीजा है कि आज आशा फाउंडेशन के दस छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में डिग्री हासिल करने का अवसर मिला है.
डॉक्टर किरण मार्टिन का कोविड -19 महामारी के दौरान लोगों को बीमारी से सुरक्षित रखने में भी उल्लेखनीय योगदान रहा. उनकी समाज सेवा के जरिये किये गये मदद का ही परिणाम था कि आशा फाउंडेशन से जुड़े लोगों में महामारी से केवल एक मौत हुई.आशा समुदाय के 98% निवासियों को कोविड-19 वैक्सीन की दोनों खुराकें पूरी तरह से लग चुकी हैं. जो संकट के दौरान उनके नेतृत्व की प्रभावशीलता को दर्शाता है.