लखनऊ : आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को वही भोजन Mid-Day Meal परोसा जाएगा जो बेसिक स्कूलों में छात्रों को दिया जाता है. दिवाली के बाद आंगनवाड़ी के बच्चे सरकारी स्कूलों में बने भोजन Mid-Day Meal का आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चे भी लुप्त उठा सकेंगे. गर्म पकाए गए भोजन में बाजरे को प्राथमिकता दी जाएगी.
आंगनवाड़ी केंद्रों पर 3 से 6 साल के बच्चों को गर्म भोजन उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही उत्तर प्रदेश सरकार मध्याह्न भोजन योजना Mid-Day Meal के सुचारु संचालन के लिए एक समान मेन्यू पर विचार कर रही है. समान मेन्यू का प्रस्ताव हाल ही में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में रखा गया था. सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक टास्क फोर्स निर्णय लेगी और मुख्यमंत्री इसका समर्थन कर सकते हैं.

Mid-Day Meal के भोजन में बाजरे को मिलेगी प्राथमिकता
प्रस्ताव में कहा गया है कि राज्य में लगभग 65 प्रतिशत आंगनवाड़ी केंद्र प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के परिसर में स्थित हैं. इसलिए इन स्कूलों की रसोई में ही खाना तैयार होगा. इसलिए, मिड-डे मील में समान एक मेन्यू प्रस्तावित किया गया है.
सात दिन में क्या क्या मिलेगा भोजन ?
सप्ताह के पहले दिन के मेनू में रोटी, सोयाबीन के साथ मौसमी सब्जियां और ताजा मौसमी फल शामिल होंगे. मंगलवार को छात्रों को दाल और सब्जियों के साथ चावल परोसा जाएगा, बुधवार के भोजन में मौसमी सब्जियों और सोयाबीन के साथ ‘तेहरी’ शामिल होगी और गुरुवार को बच्चों को दाल और सब्जियों के साथ रोटी दी जाएगी. शुक्रवार और शनिवार को मौसमी सब्जियों और सोयाबीन के साथ तेहरी और चावल और सब्जियों के साथ दाल परोसी जाएगी. हालांकि, गर्म पकाए गए भोजन में बाजरा को प्राथमिकता दी जाएगी.
आंगनवाड़ी सहायिका परोसेंगी Mid-Day Meal
बैठक में मुख्य सचिव ने अधिकारियों को आदेश दिये कि मिड-डे मील योजना के तहत सह-स्थित आंगनबाडी केन्द्रों में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के निकट स्थित रसोइयों में रसोइयों द्वारा गर्म भोजन तैयार कर बच्चों को उपलब्ध कराया जाये. 200 मीटर के दायरे में स्थित आंगनबाडी केन्द्रों को नजदीकी प्राथमिक विद्यालय से जोड़ा जाए. मिश्रा ने निर्देश दिये कि तैयार भोजन को आंगनबाडी केन्द्र तक पहुंचाने तथा बच्चों को परोसने की जिम्मेदारी आंगनबाडी सहायिकाओं को दी जाये. यदि 200 मीटर के दायरे में दो विद्यालय हैं तो पास के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

