Thursday, April 24, 2025

Millets: यूपी में मोटे अनाजों की खेती के लिए करीब 1.5 लाख किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षिण

योगी सरकार में मिलेट्स (Millets) को लेकर अगले पांच साल की कार्ययोजना बनकर तैयार है. योजना के अनुसार इस दौरान सरकार मिलेट्स के प्रोसेसिंग, पैकिंग और मार्केटिंग के लिए 55 केंद्र खोलेगी. इसके अलावा सरकार करीब 137300 किसानों को मोटे अनाज की खेती के आधुनिक और उन्नत तौर-तरीकों का प्रशिक्षण देगी. इसके साथ ही अनाज की बिक्री के लिए मोबाईल आउटलेट , मंडियों में अलग से जगह का आवंटन, ग्राम विकास विभाग की मदद से गावों में इनके बिक्री केंद्र खोलने की भी सरकार की योजना है.

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क्या है मिलेट्स को लेकर भारत सरकार की सोच

साल 2023 इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर(Millets) के रुप में मनाया जा रहा है. भारत सरकार के प्रस्ताव पर ही संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर घोषित किया गया है. इसलिए भारत की भूमिका इसको लेकर काफी अहम हो जाती है. इसी बात को मद्देनजर रखते हुए सरकार खाने में बेहद पोषण और स्वास्थ्य के लिए मुफीद इस मोटे अनाजों (Millets) को लोकप्रिय बनाने के लिए कई कदम उठा रही है. रिसर्च से लेकर इनोवेशन तक इसे आम और खास लोगों की थाली का हिस्सा बनने की कोशिश की जा रही है. 1 फरवरी को आए बजट में भी वित्त मंत्री ने मिलेट्स को लेकर सरकार की योजना बताई थी. वित्त मंत्री ने अपना 5वां बजट पेश करते हुए कहा कि वह भारत को मोटे अनाज के लिए वैश्विक केंद्र बनाना चाहती हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में, भारत मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है.  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मोटे अनाज (Millets) को ‘श्री अन्न’ के नाम से पुकारा और कहा कि इसका मतलब भारत में होता है “सभी अनाजों की जननी”. ‘श्री अन्न’ का सीधा अनुवाद हिंदी में समृद्धि और अनाज है. वित्त मंत्री ने इसके लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने जैसी घोषणाएं भी की.

मिलेट्स की खेती यूपी के लिए है मुफीद

बात अगर यूपी की कि जाए तो उत्तर प्रदेश में करीब 70 फीसद लोग खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं. इसमें से भी करीब 90 फीसदी किसान सीमांत एवं लघु किसान हैं. 1960 से पहले इस वर्ग की थाली का मुख्य हिस्सा मोटे अनाज ही हुआ करता था. इस वर्ग के ज्यादातर अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग आते हैं. ये लोग परंपरागत खेती में लगने वाले ज़रुरी सामान इनकी पहुंच के बाहर हैं. इसलिए ये किसी तरह से अपने छोटे-मोटे खेत जोत कर खेती करते हैं. जिससे इनका गुजारा बामुश्किल ही हो पाता है. ऐसे में इनके लिए कम पानी, खाद और किसी भी भूमि पर होने वाले मोटे अनाजों (Millets) की खेती सबसे ज्यादा मुफीद है.

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