इसे संयोग कहें या सच्चाई कि जिस दिन केंद्र सरकार की एजेंसी राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) उत्तर प्रदेश को महिलाओं के प्रति होनेवाले अपराधों की गिनती में बेहतर होने का सर्टिफिकेट देती है उसी दिन प्रदेश की एक बेटी मनचलों की छेड़छाड़ से परेशान होकर अपने आप को खत्म करने के लिए तेजाब पी लेती है.
मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का है.यहां छेड़छाड़ से परेशान 11वीं की एक छात्रा ने तेजाब पी लिया. हालत बिगड़ने पर उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां वो 7 दिन से जिंदगी के लिए जंग लड़ रही है. छात्रा एक मध्यम वर्गीय वर्ग से आती है, पिता पीतल की पैक्ट्री में काम करते हैं. छात्रा के पिता ने बताया कि तहरीर देने के 2 दिन बाद भी पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की. मामला एसएसपी के पास पहुंचने पर केस दर्ज किया गया. पीतल फर्म में काम करने वाले छात्रा के पिता ने बताया कि उसकी 17 वर्षीय बेटी को पास के जयंतीपुर गांव का रहने वाला सौरभ ठाकुर ठाकुर नाम का शख्स काफी समय से परेशान कर रहा था. कॉलेज आते जाते भी आरोपी उससे छेड़खानी करता था. इससे तंग आकर बेटी ने 22 अगस्त की रात करीब 11:00 बजे घर में ही तेजाब पी लिया हालत बिगड़ी तो परिजनों ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया हालत में सुधार नहीं होने पर उसे रेफर कर दिया. अब पाकबड़ा स्थित निजी अस्पताल में उसका उपचार चल रहा है मझोला थाना प्रभारी ने बताया कि छात्रा के पिता की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.
उत्तर प्रदेश सरकार लगातार अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टालरेंस की बात करती है, लेकिन अक्सर ये देखा जाता है कि प्रथामिक स्तर पर पुलिस का सुस्त रवैया अपराधितो का मनोबल बढ़ाती है. इस केस में भी ऐसा ही देखने को मिला है. महज 11 वीं मे पढ़ने वाली छात्रा लगातार छेडखान के खिलाफ अवाज उठाती रही लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. पिता शिकायत लेकर पुलिस तक पहुंचे तो पुलिस ने उसका संज्ञान तक नहीं लिया. पुलिस के उदासीन रवैये से मायूस लड़की को इसांफ की लड़ाई लड़ने से ज्यादा आसान तेजाबा पीकर मर जाना लगा. वरिष्ठ अधिकारियों तक मामला पहुंचने के बाद केस दर्ज होता है. इसांफ की पहली सीढ़ी ही उंची होगी तो आम आदमी उस सीढी तक पहुच कर इसांफ कैसे पायेगा? अपराध के मामलों मे कमी कैसे आयेगी?