Supreme Court : 38 साल पहले कुख्यात डकैत का बहादुरी से सामना करने वाले 84 वर्षीय रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर को अब उत्तर प्रदेश पुलिस सम्मानित करेगी. रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर राम अवतार सिंह यादव की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि उन्हें 5 लाख रुपये, प्रशंसा पत्र और प्रशस्ति पत्र दिया जाए. दरअसल इस मामले में रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर राम अवतार सिंह यादव की अपील पर जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने अपील सुनी और उनकी वीरता को सराहते हुए पुरस्कार के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा 1 लाख रुपये की मामूली पेशकश की निंदा की. बेंच ने कहा कि अधिकारियों को और अधिक उदार होना चाहिए.
Supreme Court ने दिया योगी सरकार को आदेश
मामला 13 मार्च 1986 का है,जब राम अवतार सिंह यादव यूपी के बांदा जिले के बिसंडा पुलिस स्टेशन में स्टेशन हाउस ऑफिसर थे. 13 मार्च 1986 को वो बस से अपने स्टेशन के लिए लौट रहे थे, इसी बीच कुछ हथियारबंद डकैतों ने बस पर घात लगाकर हमला कर दिया. ये देखकर राम अवतार ने ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से जवाब में गोलीबारी शुरू कर दी. गोली बारी में उनमहोने कुख्यात अपराधी छिदवा को मार गिराया. राम अवतार यादव के साहसिक कार्य के कारण कई लोगों की जान बच गई और डकैती की कोशिश नाकाम रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने जताया खेद
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने खेद जताते हुए कहा कि रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर राम अवतार सिंह यादव के नाम को राष्ट्रीय पुलिस पदक के लिए आगे नहीं बढ़ाया गया. अगर ऐसा किया जाता तो इससे उत्तर प्रदेश के पूरे पुलिस बल को प्रेरणा मिल सकती थी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के उदासीन रवैये पर कहा कि ‘अगर इस तरह के पदक से वीरता को सम्मानित किया जाता तो ये उत्तर प्रदेश के पूरे पुलिस बल और अपीलकर्ता के लिए बड़ा प्रोत्साहन होता.