भारत को मंदिरों की भूमि कहा जाता है. जहाँ एक से बढ़कर एक चमत्कारी मंदिर हैं. कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक हर तरफ बेहद नायब मंदिर मौजूद है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जहाँ मां पार्वती ने भगवान शंकर की पूजा की थी. तब से लेकर आजतक इस मंदिर में आज भी भगवान भोलेनाथ के बालू से बने शिवलिंग की वैसे ही पूजा की जाती है.

Saubhagyaeshwar Mahadev Ujjain Hartalika Teej Know the importance of this  Shivling stmp | Hartalika Teej: दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलते हैं उज्जैन  के सौभाग्येश्वर महादेव, जानिए क्या है ...

ये मंदिर है उज्जैन का शोभागेश्वर महादेव मंदिर. जहाँ भगवन शंकर का शिवलिंग बालू से बनाया गया है. इस मंदिर की खासियत ये है कि ये दुनिया का एकलौता शिवलिंग जहाँ भक्तों की हर मनकामना पूरी होती है . यहां जो भी भक्त आता है उस पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है. वैसे तो उज्जैन को महादेव की नगरी के नाम से जाना जाता है. जहाँ के कण कण और रोम रोम में महादेव का वास है. आपको जानकार हैरानी होगी कि उज्जैन की धर्म नगरी में महाकाल बाबा के साथ-साथ 84 महादेव स्थित है . जिनमें से एक है एक शोभागेश्वर महादेव का मंदिर। जो महाकाल वन क्षेत्र में मौजूद है. महाकाल मंदिर के आसपास का पूरा इलाका महाकाल वन क्षेत्र कहलाता है. ये बात अलग है की अब यहाँ घनी बस्ती हो गई है और पूरा इलाका रिहासी हो गया है. लेकिन एक वक्त ऐसा हुआ करता था. जब यहाँ शिव भक्त तपस्या के लिए आया करते थे और मन चाहा वर दान पाया करते थे. ये मंदिर और ये जगह इसलिए भी ख़ास है क्योंकि यहाँ इकलौता ऐसा शिवलिंग है जो बालू रेती से बना हुआ है . यहां हर साल आज ही के दिन भारी भीड़ उमड़ती है. जिसमें महिलाएं और युवतियों भगवान शिव के बालू रेत से बने इस शिवलिंग की पूजा करती है.

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पुराणों के मुताबिक मां पार्वती ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए वन क्षेत्र में बालू से निर्मित शिवलिंग की स्थापना की थी. ये स्थापना भादो महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को की गई थी. उसी पूजा के बाद माँ पारवती को भगवान शिव की प्राप्त हुई थी. वो शुभ मुहूर्त आज ही है. इसीलिए आज के दिन को हरतालिका तीज रूप में मनाया जाता है. आज के दिन कन्याएं और महिलाएं निराहार रहकर भगवान शंकर की आराधना करती है और वन में स्थित वनस्पतियों को और फलों को भगवान शंकर को अर्पित कर पूजा करती हैं. आज के दिन कन्याएं भगवान शंकर से कामना करती है कि उन्हें भी भगवान शंकर जैसा वर मिले तथा महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की कामना मतलब पति की दीर्घ आयु के लिए यह व्रत करती है.

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इस अवसर पर रात 12:00 बजे से ही महिलाएं पूजन सामग्री लेकर लाइन में लग कर मंदिर में बालू से बने शिवलिंग की आराधना के लिए आती है और यहां आकर विधि विधान से पूजन अर्चन करती है.