Supreme Court on LMV: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि हल्के मोटर वाहन (एलएमवी) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन को चलाने का हकदार है.
शीर्ष अदालत ने 2017 के अपने फैसले को बरकरार रखा, जिसमें हल्के मोटर वाहन लाइसेंस धारकों को 7500 किलोग्राम तक वजन वाले परिवहन वाहन चलाने की अनुमति दी गई थी.
Supreme Court on LMV: बीमा कंपनियों की दलील की खारिज
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि देश में सड़क दुर्घटनाएं चिंता का विषय हैं, लेकिन बीमा कंपनियों द्वारा दायर याचिकाएं इस बात का कोई अनुभवसिद्ध प्रमाण देने में विफल रहीं कि एलएमवी लाइसेंस धारकों के कारण अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं.
सर्वोच्च न्यायालय इस बात की जांच कर रहा था कि क्या हल्के मोटर वाहन (एलएमवी) के संबंध में ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति, उस लाइसेंस के आधार पर हल्के मोटर वाहन श्रेणी के परिवहन वाहन चलाने का हकदार हो सकता है.
बीमा कंपनियां ने विभिन्न अदालती फैसलों के खिलाफ दायर की थी याचिका
इसी कानूनी सवाल ने एलएमवी लाइसेंस धारकों द्वारा चलाए जा रहे परिवहन वाहनों से जुड़े दुर्घटना मामलों में बीमा कंपनियों द्वारा दावों के भुगतान को लेकर विभिन्न विवादों को जन्म दिया था.
बीमा कंपनियों ने कहा था कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) और अदालतों ने हल्के मोटर वाहन ड्राइविंग लाइसेंस के संबंध में उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें बीमा दावों का भुगतान करने के लिए आदेश पारित किए.
इस मामले में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने 21 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सर्वोच्च न्यायालय का 2017 का फैसला क्या था?
2017 में, मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने माना कि परिवहन वाहन, जिनका कुल वजन 7,500 किलोग्राम से अधिक नहीं है, को एलएमवी की परिभाषा से बाहर नहीं रखा गया है.
केंद्र ने इस फैसले को स्वीकार कर लिया और फैसले के अनुरूप नियमों में संशोधन किया.
पिछले साल 18 जुलाई को, संविधान पीठ ने कानूनी सवाल से निपटने के लिए कुल 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की. मुख्य याचिका मेसर्स बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर की गई थी.