Thursday, February 6, 2025

Manish Kashyap: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा, फेक न्यूज मामले में मनीष कश्यप पर क्यों लगाया NSA?

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को YouTuber मनीष कश्यप की एक याचिका पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया, नोटिस में कहा गया है कि मनीष की NSA के तहत गिरफ्तारी को खत्म किया जाए. आपको बता दें YouTuber मनीष कश्यप पर दक्षिणी राज्य में बिहारियों पर हमलों के बारे में फर्जी खबरें फैलाने के आरोपों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगाया गया था.

“मिस्टर सिब्बल, इसके लिए एनएसए क्यों?” – डी वाई चंद्रचूड़

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने इस तरह के आरोपों के लिए एनएसए को लागू करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया.
सीजेआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल जो तमिलनाडु सरकार की पैरवी कर रहे थे उनसे पूछा “मिस्टर सिब्बल, इसके लिए एनएसए क्यों?” जिसके जवाब में सिब्बल ने कहा, मनीष कश्यप के सोशल मीडिया पर लगभग 60 लाख फॉलोअर्स है और उनके वीडियो से प्रवासी श्रमिकों में व्यापक दहशत और भय पैदा हो गया था. इसके साथ ही कपिल सिब्बल ने कहा कि मनीष कश्यप पत्रकार नहीं थे, उन्होंने वीडियो एक राजनीतिक एजेंडे के साथ बनाए था.

एनएसए के खिलाफ याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी

पीठ बिहार के मूल निवासी कश्यप की उस याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें कथित फर्जी वीडियो को लेकर दर्ज कई एफआईआर को एक करने की मांग की गई थी. जब वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने पीठ को बताया कि मनीष को एनएसए के तहत भी हिरासत में लिया गया है, तो पीठ ने याचिकाकर्ता को एनएसए हिरासत को लेकर भी चुनौती देने के लिए याचिका में संशोधन करने की स्वतंत्रता दी. कोर्ट ने हाल ही में दिए अपने एक फैसले की तऱफ इशारा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में भू-राजस्व डिफॉल्ट के एक मामले में सपा के एक नेता की NSA हिरासत को रद्द कर दिया था.

मनीष की सभी मामले पटना स्थानांतरित करने की मांग

दवे ने अनुरोध किया कि तमिलनाडु में एफआईआर को क्लब करके बिहार स्थानांतरित कर दिया जाए, क्योंकि पहली एफआईआर पटना में दर्ज की गई थी. इसपर सिब्बल ने यह कहकर विरोध किया कि प्राथमिकी अलग-अलग कृत्यों को लेकर दर्ज की गई थी. उन्होंने तर्क दिया कि लोगों के साक्षात्कार और प्रकाशित वीडियो की आड़ में कश्यप ने तमिलनाडु में कई जगहों का दौरा किया था, और चूंकि ये अलग-अलग जगहों का ममाल है, इसलिए कई एफआईआर बनाए रखने के योग्य हैं.
हलांकि इसपर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सभी एफआईआर का भाव एक जैसा ही लगता है.

बिहार सरकार ने सभी मामलों के बिहार स्थानांतरण का विरोध किया

बिहार सरकार के वकील ने भी यह कहते हुए मामलों को बिहार स्थानांतरित करने का विरोध किया कि कश्यप एक आदतन अपराधी था जिसके पास कई मामले दर्ज थे.
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल की तय की है. इस दौरान कश्यप के वकील दवे ने कोर्ट का ध्यान इस ओर खींचा की कश्यप को विभिन्न अदालतों में पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई तक मनीष को वहीं रखा जाए जहां वह अभी है जिसे कोर्ट ने मान लिया.

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