इलाहाबाद संग्रहालय में रखा सेंगोल (राजदंड) भारत के नए संसद की शोभा बनेगा. संग्रहालय प्रशासन के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा पर इसे यहां से ले जाया गया है.
मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह ने जिस सेंगोल परंपरा क बारे में जानकारी दी थी, उस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए जो सेंगोल का चयन हुआ है वह उत्तर प्रदेश से लाया गया है. नए संसद भवन में जिस सेंगोल (राजदंड) को स्थापित किया जाएगा, वह इलाहाबाद संग्रहालय की शोभा बढ़ा चुका है.
पंडित नेहरू ने इलाहाबाद संग्रहालय को सौंपा था सेंगोल
उल्लेखनीय है कि अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरित होने के दौरान प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तीन फरवरी 1958 से लेकर आठ अक्तूबर 1978 तक इलाहाबाद संग्रहालय के क्यूरेटर रहे एससी काला को जो सामग्री सौंपी थी, उसमें सेंगोल भी शामिल था. पंडित नेहरू को दी गई सामग्री के लिए संग्रहालय में नेहरू वीथिका स्थापित की गई है, जिसमें नेहरू की ओर से दी गई 1200 से अधिक सामग्री संग्रहित है.
जानकारी के मुताबिक इलाहाबाद संग्रहालय ने 4 नंवबर 2022 को इस सामग्री में शामिल सेंगोल को नेशनल म्यूजियम दिल्ली को सौंप दिया था. इस सेंगोल के बारे में बताया जा रहा है कि ये लंबाई में 162 सेंटीमीटर है. और इस पर सोने का पानी चढ़ा है. जानकारी के मुताबिक नए संसद भवन में इस सेंगोल को स्पीकर की कुर्सी के पास स्थापित किया जाएगा.
बताया जाता है कि 14 अगस्त 1947 को जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से सेंगोल को स्वीकार किया था.
सेंगोल का इतिहास क्या है?
सेंगोल तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से निकला हुआ शब्द है. इसका अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा. एक वक्त में इस सेंगोल यानी राजदंड को भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक माना जाता था.
14 अगस्त 1947 को जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को स्वीकार किया था और तब इसे अंग्रेजों से इस देश के लोगों के लिए सत्ता के हस्तांतरण का संकेत माना गया था.
सेंगोल जिसे दिया जाता है उससे न्यायसंगत और निष्पक्ष शासन प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है. भारत की स्वतंत्रता के समय इस पवित्र सेंगोल को प्राप्त करने की घटना को दुनियाभर के मीडिया ने व्यापक रूप से कवर किया था.
नेहरू को सेंगोल क्यों दिया गया था?
आधिकारिक दस्तावेज़ के अनुसार, स्वतंत्रता से ठीक पहले, भारत के अंतिम वायसराय, लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू से “उस समारोह के बारे में पूछा, जिसे ब्रिटिश से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में मनाया जाना चाहिए”.
जल्द ही बनने वाले प्रधान मंत्री नेहरू भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी से इसबारे में परामर्श करने गए, जिन्होंने उन्हें चोल राजवंश के दौरान किए गए एक समारोह के बारे में बताया, जिसमें एक राजा से दूसरे राजा को सत्ता का हस्तांतरण महायाजकों द्वारा पवित्र और आशीर्वादित था. दस्तावेज़ में कहा गया है, “इस्तेमाल किया गया प्रतीक (सत्ता के हस्तांतरण के लिए) एक राजा से उसके उत्तराधिकारी को ‘सेंगोल’ का सौंपना था.” इसमें कहा गया है कि नवगठित शासक को अपनी प्रजा पर निष्पक्ष और न्यायपूर्ण ढंग से शासन करने के आदेश के साथ सेंगोल दिया जाएगा.
सेंगोल कैसे बनाया गया था?
एक बार जब नेहरू सुझाए गए समारोह को करने के लिए सहमत हो गए, तो राजगोपालाचारी, जिन्हें राजाजी के नाम से भी जाना जाता है, को एक राजदंड की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके बाद, वह मदद के लिए तमिलनाडु के तंजौर जिले के एक प्रसिद्ध मठ थिरुवदुथुराई अथेनम के पास पहुंचे और इसके नेता ने आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार, चेन्नई स्थित “वुम्मिदी बंगारू चेट्टी” ज्वैलर्स को सेंगोल के निर्माण का काम सौंपा.
सेंगोल को दो पुरुषों ने बनाया, वुम्मिदी एथिराजुलु और वुम्मिदी सुधाकर. ये दोनों अभी भी जीवित हैं और इसे बनाना की घटना को अकसर याद भी करते रहते है. उनके मुताबिक राजदंड की लंबाई पांच फीट है और शीर्ष पर एक ‘नंदी’ बैल है, जो न्याय का प्रतीक है.
नेहरू को कैसे सौंपा गया था सेंगोल?
आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार, तीन लोग, जिनमें “अधीनम के उप महायाजक, नादस्वरम वादक राजारथिनम पिल्लई और ओडुवर (गायक)” शामिल हैं, तमिलनाडु से नव-निर्मित सेंगोल लेकर आए थे. समारोह के दौरान, जो 14 अगस्त, 1947 को हुआ था, एक पुजारी ने लॉर्ड माउंटबेटन को राजदंड दिया और फिर उसे वापस ले लिया. इसके बाद इसे “पंडित जवाहरलाल नेहरू के घर जुलूस के रुप में ले जाया गया, जहां इसे उन्हें सौंप दिया गया. इस मौके पर महायाजक के कहें अनुसार, एक विशेष गीत भी गाया गया.
दस्तावेज़ों के मुताबिक समारोह के दौरान बजाया गया गीत 7 वीं शताब्दी के तमिल संत तिरुगुनाना संबंदर द्वारा रचित था. जो एक विलक्षण बालक थे और जो केवल 16 वर्ष जीवित रहे. इस कार्यक्रम में डॉ राजेंद्र प्रसाद, जो बाद में भारत के पहले राष्ट्रपति बने, और कई अन्य लोगों शामिल हुए थे.
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