SCO Summit 2022: उज़्बेकिस्तान के समरकंद में होने वाली SCO यानी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन समिट कई मायनों में खास रहने वाली है. पहला सवाल ये होगा की 2016 पुलवामा हमले के बाद जो भारत पाकिस्तान में बातचीत बंद है वो फिर शुरु होगी? दूसरा सवाल है चीन के सीमा विवाद के अलावा क्या व्यापार पर भी बात करेगा भारत? वैसे चीन और रुस के लिये ये समिट इस लिए भी खास है कि कोरोना महामारी के बाद पहली बार विदेश दौरे पर निकले है चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग. इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद पुतिन की भी ये पहली अंतरराष्ट्रीय समिट है.
क्या है पीएम मोदी का SCO समिट में कार्यक्रम
गुरुवार दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी SCO समिट में हिस्सा लेने के लिए समरकंद रवाना होंगे. पीएम मोदी शाम करीब 6 बजे समरकंद पहुंचेंगे. शुक्रवार 16 सितंबर को SCO की बैठक में पीएम मोदी शामिल होंगे. विदेश सचिव की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि पीएम मोदी उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे. इसके अलावा विदेश सचिव ने ये भी कहा कि पीएम अन्य नेताओं के नेताओं से बातचीत करेंगे. हलांकि ये पूछे जाने पर क्या पीएम पाकिस्तान और चीन के प्रमुखों से भी मिलेंगे. विदेश सचिव ने कहा अभी हम सिर्फ ये बता सकते है कि कि पीएम अन्य देश के नेताओं से भी बातचीत करेंगे. उन्होंने कहा इसके आगे जो भी जानकारी होगी हम बताते रहेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल सुबह समिट में शामिल होंगे। शिखर सम्मेलन में आमतौर पर 2 सत्र होते हैं- प्रतिबंधित सत्र केवल SCO सदस्य देशों के लिए और फिर एक विस्तारित सत्र होता है जिसमें पर्यवेक्षकों और विशेष आमंत्रितों की भागीदारी शामिल हो सकती है: विदेश सचिव विनय क्वात्रा pic.twitter.com/jEXV9jkVzC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 15, 2022
भारत-पाकिस्तान के बीच होगी बात?
ये दूसरा मौका है 2016 पठानकोट आतंकी हमले के बाद जब भारत पाकिस्तान एक मंच पर होंगे. इससे पहले 2019 में किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में इमरान खान और पीएम मोदी का आमना-सामना हुआ था. तब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान और पीएम मोदी के बीच मुलाकात हुई थी जिसे भारत-पाकिस्तान ने शिष्टाचार मुलाकात बताया था.
लेकिन अब तीन साल बाद हालात बदल गए है. पाकिस्तान के नए पीएम शहबाज शरीफ पीएम मोदी के दोस्त नवाज़ शरीफ के भाई है. इसके अलावा बाढ़ से जूझ रहे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरचराई हुई है. इस बार पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के लिए भारत-पाक व्यापार फिर से शुरु करवाना बेहद जरूरी है. इसलिए माना जा रहा है कि इस समिट में पाकिस्तान की पूरी कोशिश होगी की वो भारत के साथ बातचीत करें. हलांकि नई दिल्ली की तरफ से अभी तक इस तरह की कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही है. माना जा रहा है कि इस बार भी भारत-पाक बातचीत मुश्किल ही है.
जिनपिंग-मोदी मुलाकात
2019 में BRICS सम्मेलन के बाद पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात करीब तीन साल बाद होने जा रही है. माना जा रहा है कि समरकंद में भारत-चीन की मुलाकात सीमा विवाद के लिहाज़ से काफी अहम होगी. मुलाकात से पहले चीन ने विवादित इलाकों से अपनी सेना को पीछे हटा कर थोड़ी नरमी दिखाई है. चीन सेना ने भारत-चीन सीमा पर विवादित इलाकों में बने अपने बंकर भी खाली कर दिये है.
चीन की इस नरमी के बाद माना जा रहा है कि भारत और चीन बीच सीमा विवाद के अलावा भी अब कई दूसरे मुद्दों पर बात हो सकती है. सीमा विवाद के चलते भारत-चीन के व्यापारिक रिश्ते भी काफी खराब हो चुके थे. उम्मीद की जा रही है कि इस मुलाकात में चीन उन रिश्तों को सुधारने की कोशिश करेगा. वैसे आपको बता दें. कोरोना के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ये पहली विदेश यात्रा है. कोरोना महामारी के लिए अमेरिका समेत कई देशों ने चीन को जिम्मेदार ठहराया था.
समरकंद पर अमेरिका की कड़ी नज़र
उज़्बेकिस्तान के समरकंद पर अमेरिका की कड़ी नज़र रहने वाली है. यूक्रेन युद्ध के बाद ये पहला मौका है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर होंगे. अमेरिका समेत यूरोप के कई मुल्क राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन युद्ध के लिए जिम्मेदार मानते है. लेकिन भारत ने रूस के साथ अभी भी अपने व्यापारिक रिश्ते बरकरार रखे है. भारत ने यूक्रेन-रूस विवाद को हमेशा बातचीत से सुलझाने पर ज़ोर दिया है. इस रुख के चलते भारत को अमेरिका की नाराजगी भी झेलनी पड़ी है. ऐसे में पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात पर अमेरिका की खास नज़र होगी. इसके साथ ही समरकंद में चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात भी अमेरिका के लिए अहम होगी.
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन क्या है?
आपको बता दें 2001 में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन का गठन हुआ था. SCO एक भू-राजनीतिक और सुरक्षा संगठन है. भारत, पाकिस्तान, रूस और चीन के अलावा इसमें 4 और सदस्य है. कजाकिस्तान, तजाकिस्तान , किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल इसके बाकी चार सदस्य हैं. इन 8 देशों के अलावा बैठक में 6 डायलॉग पार्टनर और 4 ऑब्जर्वर देश भी हिस्सा लेंगे.