FILE - Russian President Vladimir Putin, right, and Ukrainian President Volodymyr Zelenskyy arrive for a working session at the Elysee Palace, Dec. 9, 2019, in Paris. (Ian Langsdon/Pool via AP, File)

रूस यूक्रेन की जंग का असर पूरी दुनिया पर है. पूरी दुनिया को इस जंग का खामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है. कई पश्चिमी देश जैसे की जर्मनी ब्रिटैन जैसे देश यूक्रेन का साथ दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर रूस को एक राक्षस की तरह दिखाया जा रहा है. जिसके ज़ुल्म के हाथों यूक्रेन बेबस है लाचार है. लेकिन क्या यही ख़ाकीकत है. क्या सच में यूक्रेन बेबस है और जो तबाही हो रही है क्या उसका इकलौता ज़िम्मेदार रूस है.

क्या आप जानते हैं यूक्रेन पर रूस के हमला करने के पीछ एक दो कारण नहीं बल्कि बहुत से कारण हैं. पश्चिमी देश इस वक्त भले ही जेलेंस्की को मासूम दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन यही यूक्रेन पिछले काफी समय से डोनबास में मासूमों और निहत्थों की जब जान ले रहा था. तब यह किसी को नजर नहीं आया. जहाँ कम से कम 15हजार लोगों बेरहमी से यूक्रेन ने मौत के घाट उतार दिया. उस वक्त सिर्फ रूस ने आगे बढ़ कर यूक्रेन को समझाने की कोशिश की थी. लेकिन जेलेस्की ने उस कत्लेआम को नहीं रोका. ऐसे में जब वही हश्र यूक्रेन के साथ हुआ तो अब वो पूरी दुनिया से मदद मांगने में जुटा है . जंग में यूक्रेन की बदतर हालातों पर जेलेस्की कितने दुखी है. ये आप उनकी वोग फैशन मैगज़ीन के लिए खिचवाई गई तस्वीरों में भी साफ़ तौर पर समझ सकते हैं.
पश्चिमी देशों की मदद के बावजूद जंग में यूक्रेन रूस का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा. बल्कि, इसका उल्टा असर पश्चिमी देशों में महंगाई के रूप में दिखना लगा. ऐसे में जेलेंस्की ने भारत के खिलाफ जो कदम उठाया है उसने जेलेंस्की के नापाक मंसूबों को सबके सामने लाकर रख दिया है.

यूक्रेन सरकार ने रूस के ‘प्रोपेगेंडा’ को फैलाने का आरोप लगाते हुए तीन भारतीय लोगों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. तीन भारतीय के अलावा वो देश और वहां के लोगों को भी ब्लैकलिस्ट किया गया हैं. जो रूस का समर्थन में खड़े हैं . ये लिस्ट इस महीने की शुरुआत में सेंटर फॉर काउंटरिंग डिसइन्फॉर्मेशन (CCD) की ओर से पब्लिश की गई है.

बता दें CCD की स्थापना पिछले साल राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक विभाग के रूप में की थी.

इस लिस्ट में लगभग 75नाम शामिल हैं, जिसमें भारत के पूर्व राजनयिक पीएस राघवन, सैम पित्रोदा और एक पत्रकार सईद नकवी का नाम भी शामिल हैं. बता दें राघवन 2014से 2016तक रुस में भारत के राजदूत के रूप में भी रह चुके हैं. उन्होंने अपने बयां में एक बार कहा था कि रूस के खिलाफ यूक्रेन नाटो की तरह है. वहीँ सैम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के सलाहकार रह चुके हैं. उन्हें भी ब्लैक लिस्ट किया गया है. उन्होंने दुनिया को रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ समझौता करने कि बात कही थी. इसी बात से नाराज़ होकर उन्हें ब्लैकलिस्ट किया गया. सिर्फ इतना ही नहीं ब्लैकलिस्ट भारतियों कि सूची में एक भारतीय पत्रकार सईद नकवी को सिर्फ इसलिए डाला गया क्योंकि उन्होंने कहा था कि यूक्रेन की सेना की जीत को एक भ्रम और प्रोपोगेंडा से ज्यादा कुछ नहीं है, जिसका जन्म पश्चिमी देशों में हुआ है.
इन बातों से आप समझ सकते हैं कि सिर्फ अपनी बात रखने से भारतियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया. जब कि भारत और यूक्रेन का रिश्ता काफी पुराना है. भारत से हर साल हज़ारों छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जाते रहे हैं. जो देश भारत जैसे शांति दूत के साथ ऐसा कर सकता है तो समझ सकते हैं. राष्ट्रपति जेलेंस्की किस मानसिकता के नेता है.
जो राष्ट्रपति जंग के बीच अपनी जनता का दर्द भूलकर फोटोशूट करवा सकता. अपने ही देशवासियों कि भावनाओं को ठेस पहुँचाए. वो कुछ भी कर सकता है. लेकिन बेचारा नहीं हो सकता है.