Parliament session: सोमवार को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश किया है. देश में एक साथ विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव कराने की वकालत करने वाले इस बिल को लेकर विपक्ष का विरोध पहले से ही सरकार के सामने है.
लोकसभा में इस बिल को लेकर हंगामा लगभग तय माना जा रहा था. इसलिए सोमवार को ही बीजेपी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में मौजूद रहने को कहा था
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने एक साथ चुनाव कराने के विधेयक का विरोध किया
कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव से संबंधित विधेयक संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत पर हमला है.
उन्होंने लोकसभा में कहा, “एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक इस सदन की विधायी क्षमता से परे है, इस पर विचार किया जा रहा है, हम सरकार से इसे वापस लेने का आग्रह करते है.”
समाजवादी पार्टी ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के विधेयक तानाशाही लाने का प्रयास है
समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने एक साथ चुनाव कराने के विधेयक का विरोध किया और कहा कि यह भाजपा द्वारा देश में ‘तानाशाही’ लाने का प्रयास है. ”
Parliament session: शिवसेना यूबीटी और टीएमसी ने भी किया बिल का विरोध
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने एक राष्ट्र एक चुनाव बिल का विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. इसके साथ ही इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद मोहम्मद बशीर और शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के सांसद अनिल यशवंत देसाई ने भी बिल का विरोध किया.
कानून बना तो कब होंगे एक साथ आम चुनाव औऱ विधानसभा के चुनाव ?
प्रस्ताव के तहत अगर कानून पास हो जाता है तो इसे दो चरणों में अमली जामा पहनाने की तैयारी है. पहले चरण में एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव, फिर 100 दिन के भीतर दूसरे चरण में नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव होंगे. लेकिन सवाल ये है कि इसे लागू कब तक किया जा सकेगा. जानकारों का मानना है कि कानून बन जाने के बाद भी सरकार इसे 2034 के बाद ही लागू कर पायेगी.इसकी वजह ये है कि एक साथ चुनाव करवाने के लिए वर्तमान संसद या फिर विधानसभाओं को भंग करना होगा. संविधान के आर्टिकल 83 में भी संशोधन करना होगा. इसमें संसद के सदनों के कार्यकाल की बात कही गई है. आर्टिकल 172 और 327 में भी संशोधन करने होंगे. इन आर्टिकलों में विधानसभा के चुनाव के बारे में संसद को नियम बनाने का अधिकार दिया गया है.
केंद्रीय कैबिनेट में 129वें संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी गई जिसके मुताबिक अगले आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक के दौरान राष्ट्रपति ही एक राष्ट्र एक चुनाव का ऐलान करेंगी. मतलब ये तारीख 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद निर्धारित हो पायेगी. ऐसे में अगर देश में साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराये भी जायें तो ये एक साथ 2034 से पहले नहीं हो पायेगा.