Delhi Jama Masjid: दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को राष्ट्रीय राजधानी स्थित जामा मस्जिद का निरीक्षण करने और रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और समय दे दिया है.
एएसआई को 29 जनवरी, 2025 से पहले देनी है रिपोर्ट
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने मस्जिद को “संरक्षित स्मारक” घोषित करने के लिए दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एएसआई से 29 जनवरी, 2025 को होने वाली अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले रिपोर्ट देने को कहा.
पीठ ने 11 दिसंबर को आदेश दिया, “23 अक्टूबर, 2024 के आदेश में बताए अनुसार सर्वेक्षण/निरीक्षण किया जाए और मामले में उपस्थित सभी पक्षों को अग्रिम प्रतियों के साथ सुनवाई की अगली तारीख से कम से कम एक सप्ताह पहले रिपोर्ट दाखिल की जाए.”
Delhi Jama Masjid परिसर के उपयोग को लेकर देनी है रिपोर्ट
23 अक्टूबर को, अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों के साथ जामा मस्जिद और उसके आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण करने के लिए कहा.
इसने जामा मस्जिद परिसर का उपयोग किस उद्देश्य से किया जा रहा था, इसकी रूपरेखा के साथ एक रेखाचित्र भी मांगा.
हालांकि, 11 दिसंबर को एएसआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सोनी ने इस अभ्यास को पूरा करने के लिए और समय मांगा. अतिरिक्त समय देते हुए पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से एक वकील को निरीक्षण के दौरान टीम के साथ जाने की अनुमति दी.
शाही इमाम” की उपाधि के इस्तेमाल पर भी है सवाल
सुहैल अहमद खान और अजय गौतम द्वारा 2014 में दायर जनहित याचिकाओं में जामा मस्जिद के एएसआई के दायरे में न आने पर सवाल उठाए गए थे.
उन्होंने जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी द्वारा “शाही इमाम” की उपाधि के इस्तेमाल और उनके बेटे को नायब इमाम नियुक्त करने पर आपत्ति जताई.
मनमोहन सिंह ने किया था संरक्षित स्मारक घोषित नहीं करने का वादा
2015 में, एएसआई ने अदालत को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शाही इमाम को आश्वासन दिया था कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित नहीं किया जाएगा.
अपने नवीनतम हलफनामे में, एएसआई ने कहा कि ऐतिहासिक जामा मस्जिद को “संरक्षित स्मारक” घोषित करने से “काफी प्रभाव” पड़ेगा और इस संबंध में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.
इसमें कहा गया है कि एक बार किसी संरचना को संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया जाता है, तो उसके आस-पास के क्षेत्र में कुछ नियम और निषेध लागू हो जाते हैं.
हालांकि मुगलकालीन जामा मस्जिद वर्तमान में दिल्ली वक्फ बोर्ड के सुरक्षा और संरक्षकता में है, लेकिन एएसआई इसके संरक्षण और परिरक्षण का काम कर रहा है.