बुधवार को जनता दल-यूनाइटेड (JD-U) ने अरुणाचल पश्चिम लोकसभा क्षेत्र के लिए अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी. इस घोषणा के साथ ही इंडिया ब्लॉक के भीतर चल रहे मतभेद भी उभर के सामने आ गए. कांग्रेस पहले ही अरुणाचल प्रदेश ईस्ट लोकसभा सीट के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी है.
एक बयान में जेडी-यू के महासचिव अफैक अहमद ने कहा कि पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष रूही तंगुंग अरुणाचल पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से इसके उम्मीदवार होंगे. उन्होंने बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा, “यह घोषणा पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के निर्देश पर की गई है.
हमें सीट शेयरिंग की जानकारी नहीं-अरुणाचल कांग्रेस अध्यक्ष
हिंदूस्तान टाइम्स को दिए एक बयान में जेडीयू के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “हम शुरू से ही वेस्ट लोकसभा सीट में रुचि रखते हैं. इंडिया एलायंस के गठन के एक महीने बाद कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा की. हमने कांग्रेस के लिए अपने इरादों को भी स्पष्ट कर दिया और 19 दिसंबर तक इसके उत्तर की प्रतीक्षा की. जब उनका जवाब नहीं आया तो पार्टी अध्यक्ष ने नाम की घोषणा की गई ”
हिंदुस्तान टाइम्स की इस खबर के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बोसिराम सिरम ने कहा, “मुझे जेडी-यू की घोषणा या किसी भी सीट शेयरिंग समझौते के बारे में कोई जानकारी नहीं है. हमारे पास दोनों लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवार हैं और हम हमारे नेतृत्व से हरे झंड़ी मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं.
क्या कांग्रेस पर दबाव बनाने किया नीतीश ने उम्मीदवार एलान
अरुणाचल की दो में से एक लोकसभा सीट पर जेडीयू का उम्मीदवार उतारने को इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर हो रहे विवाद से जोड़ कर देखा जा रहा है. ऐसा भी माना जा रहा है कि जेडीयू का ये कदम असल में इंडिया गठबंधन में जेडी-यू के अध्यक्ष नीतीश कुमार की भूमिका और संयोजक के पद को लेकर दबाव बनाने का हिस्सा है. जेडीयू शुरु से ही नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन का संयोजक और गठबंधन का प्रधानमंत्री चेहरा बनाने की मांग कर रही है. हलांकि नीतीश कुमार किसी भी पद की इच्छा नहीं होने की बात कहते रहे है लेकिन माना जा रहा है कि उनकी पार्टी कांग्रेस पर हर संभव दबाव बनाने की कोशिश में है. खासकर इंडिया गठबंधन की पिछली मीटिंग में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे करने और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का उसका समर्थन करने के बाद नीतीश कुमार चुप्पी और अब अरुणाचल लोकसभा के लिए एक नाम का एलान तो इसी ओर इशारा करता है. खासकर तब जब 2019 में जेडीयू ने अरुणाचल में सिर्फ विधानसभा चुनाव लड़े थे, लोकसभा नहीं.
अरुणाचल प्रदेश में दो लोकसभा सीटें हैं
आपको बता दें, 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अरुणाचल प्रदेश में दूसरे स्थान पर आई थी, जबकि बीजेपी ने दोनों सीटें जीती थी. वहीं JD-U ने अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों में सात सीटें जीती हलांकि 2022 में उसके पांच विधायक टूट कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. अरुणाचल में विधानसभा चुनाव 2019 लोकसभा चुनावों के साथ ही हुए थे. यहां JD-U ने अरुणाचल प्रदेश की 60 सदस्यीय विधानसभा में 7 सीटें जीतीं थी जिसमें से 4 सीटों पर उसने कांग्रेस को हराया था.
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