अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि बलूच लिबरेशन आर्मी के आतंकवादियों ने अशांत दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान में 440 यात्रियों को ले जा रही एक यात्री ट्रेन पर हमला कर 21 बंधकों की हत्या कर दी, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने सभी 33 हमलावरों को मार गिराया और अन्य सभी यात्रियों को बचा लिया गया.
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के कारण किसी यात्री की मौत नहीं हुई और उन्होंने “संभावित तबाही को टालने” के लिए सेना की प्रशंसा की. प्रांत के मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने प्रांतीय विधानसभा को बताया कि सैनिकों ने इसमें शामिल सभी विद्रोहियों को मार गिराया.
पहचान-पत्रों की जांच की, सैनिकों पर गोली चलाई
समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, जो यात्री भाग गए या जिन्हें आतंकवादियों ने रिहा कर दिया, उन्होंने बताया कि जब बंदूकधारियों ने ट्रेन पर कब्ज़ा कर लिया, पहचान-पत्रों की जांच की, सैनिकों पर गोली चलाई, लेकिन कुछ परिवारों को छोड़ दिया, तो वे दहशत में आ गए.
भागने में सफल रहे मुहम्मद नवीद ने एएफपी को बताया, “उन्होंने हमें एक-एक करके ट्रेन से बाहर आने को कहा. उन्होंने महिलाओं को अलग किया और उन्हें जाने को कहा. उन्होंने बुजुर्गों को भी नहीं छोड़ा.”
38 वर्षीय ईसाई मजदूर बाबर मसीह ने बुधवार को एएफपी को बताया कि वह और उसका परिवार ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों से होते हुए घंटों पैदल चलकर एक ट्रेन तक पहुंचे, जो उन्हें रेलवे प्लेटफॉर्म पर बने एक अस्थायी अस्पताल तक ले जा सकती थी.
“हमारी महिलाओं ने उनसे विनती की, और उन्होंने हमें छोड़ दिया,” उन्होंने कहा.
“उन्होंने हमें बाहर निकलने और पीछे मुड़कर न देखने के लिए कहा. जब हम भाग रहे थे, तो मैंने देखा कि हमारे साथ-साथ कई अन्य लोग भी दौड़ रहे थे.”
बंधकों ने सुनाई आपबीती
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब प्रांत के गुजरांवाला जिले के मूल निवासी स्टीलकर्मी नोमान अहमद भी ट्रेन में सवार थे, जो ईद पर अपने परिवार के साथ घर लौटने की उम्मीद कर रहे थे.
NYT ने अहमद के हवाले से कहा, “जब हमने विस्फोट सुना, तो हम फर्श पर लेट गए और गोलियों से बचने की उम्मीद में गाड़ी का दरवाज़ा बंद कर दिया.” कुछ ही देर बाद, एक आतंकवादी आया और महिलाओं और बुज़ुर्गों को बाकी यात्रियों से अलग कर दिया, जिन्हें पास की पहाड़ी की ओर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने कहा कि कुछ घायल यात्री ट्रेन के अंदर ही रह गए. अहमद ने कहा, “उन्होंने उन्हें बाहर आने का आदेश दिया,” उन्होंने आगे कहा, “जब वे नहीं आए, तो बंदूकधारी अंदर घुस गए और उन सभी को गोली मार दी.”
क्या हुआ?
ट्रेन क्वेटा से उत्तरी शहर पेशावर जा रही थी. अधिकारियों का कहना है कि जाफ़र एक्सप्रेस ट्रेन आंशिक रूप से एक सुरंग के अंदर थी जब आतंकवादियों ने पटरियों को उड़ा दिया, जिससे इंजन और नौ डिब्बे रुकने को मजबूर हो गए.
तेल और खनिज से समृद्ध बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे कम आबादी वाला प्रांत है. यह देश के जातीय बलूच अल्पसंख्यकों का केंद्र है, जिनके सदस्यों का कहना है कि उन्हें केंद्र सरकार द्वारा भेदभाव और शोषण का सामना करना पड़ता है. बलूचिस्तान ईरान और अफ़गानिस्तान की सीमा पर स्थित है और लंबे समय से उग्रवाद का केंद्र रहा है. अलगाववादी इस्लामाबाद में सरकार से अधिक स्वायत्तता और क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का बड़ा हिस्सा मांगते हैं.
Pakistan train hijack: अपहरणकर्ता क्या चाहते थे?
सेना के सदस्य अक्सर क्वेटा से देश के दूसरे हिस्सों में जाने के लिए ट्रेनों का इस्तेमाल करते हैं. नवंबर में, बीएलए ने क्वेटा के एक ट्रेन स्टेशन पर आत्मघाती हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए. बीएलए ने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार बातचीत नहीं करती है तो बंधकों की जान जोखिम में पड़ सकती है. विश्लेषकों का कहना है कि हमला और नागरिकों पर इसका ध्यान उल्टा पड़ सकता है.
इस्लामाबाद स्थित स्वतंत्र सुरक्षा विश्लेषक सैयद मुहम्मद अली ने कहा, “बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना को नुकसान पहुंचाने में विफल रहने के बाद, बीएलए ने अपने लक्ष्य को सेना से हटाकर निहत्थे नागरिकों पर केंद्रित कर दिया है. इससे उन्हें तुरंत जनता और मीडिया का ध्यान मिल सकता है, लेकिन इससे नागरिक आबादी के भीतर उनका समर्थन आधार कमज़ोर हो जाएगा, जो उनका अंतिम उद्देश्य है.” महिलाओं और बच्चों सहित बचाए गए यात्रियों को उनके गृहनगर भेजा जा रहा है. कुछ घायलों को लगभग 62 मील दूर क्वेटा ले जाया गया.
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