Sunday, July 6, 2025

पटना में कारोबारी गोपाल खेमका की सरेआम हत्या, कानून-व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

- Advertisement -

पटना : राजधानी के जाने-माने कारोबारी गोपाल खेमका की दिनदहाड़े हत्या ने राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं, बल्कि बिहार की प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था की विफलता का बड़ा उदाहरण बन चुका है। खास बात यह है कि गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की भी वर्ष 2018 में हत्या कर दी गई थी। उस वक्त उन्हें सुरक्षा दी गई थी, लेकिन सवाल उठ रहा है कि वह सुरक्षा बाद में क्यों और कैसे हटा ली गई?

डीजीपी के बयान पर उठे सवाल

बिहार के डीजीपी विनय कुमार का कहना है कि गोपाल खेमका ने खुद अपनी सुरक्षा वापस कर दी थी। हालांकि, इस पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्होंने स्वेच्छा से सुरक्षा लौटाई या पुलिस प्रशासन ने जानबूझकर सुरक्षा हटाई? सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

साजिश जेल से रची गई?

इस हत्याकांड की जांच में अब एक नया मोड़ आ गया है। पुलिस ने पटना की बेऊर जेल में छापेमारी कर तीन मोबाइल फोन बरामद किए हैं और आशंका जताई जा रही है कि हत्या की साजिश जेल के अंदर से रची गई थी। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर शूटर की पहचान की कोशिश की जा रही है, जिसने फोन पर निर्देश लेकर वारदात को अंजाम दिया।

एक बार फिर अपराधियों के आगे बेबस पुलिस

पटना में बीते कुछ वर्षों में लगातार हाई-प्रोफाइल हत्याएं हो रही हैं – शाहनवाज, नवनीत, अमरेंद्र, संजय और अब गोपाल खेमका। इन सभी मामलों में बाइक सवार अपराधी आसानी से वारदात कर भाग निकलते हैं, जबकि पुलिस सूचना तंत्र, टेक्नोलॉजी और जवाबदेही में पिछड़ती नजर आती है।

चुनाव से पहले सियासी भूचाल

इस हत्या ने बिहार चुनाव से ठीक पहले राज्य की सियासत को गरमा दिया है। एनडीए सरकार पर विपक्ष लगातार हमलावर है और कानून-व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बना रहा है। सुरक्षा, प्रशासनिक जवाबदेही और अपराध पर नियंत्रण—ये सभी सवाल अब सियासी बहस के केंद्र में हैं।

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news