Thursday, December 19, 2024

यूपी मॉनसून सत्र: मायावती ने क्यों किया अखिलेश यादव का समर्थन?

बुआ और बबुआ के वैसे तो रिश्ते इतने तल्ख है कि सोमवार को अखिलेश यादव के विधान सभा मार्च से न सिर्फ बीएसपी ने दूरी बनाई बल्कि मार्च का विरोध तक कर डाला था. लेकिन अब एक दिन में मायावती का ऐसा ह्रदय परिवर्तन हुआ कि उन्होंने उसी पैदल मार्च के बहाने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को तानाशाही तक बता दिया है.
सोमवार को यूपी विधानसभा के सत्र की शुरुआत हुई थी. सत्र के पहले दिन ही समाजवादी पार्टी के विधायक और एमएलसी ने अपने नेता अखिलेश यादव के नेतृत्व में सड़क पर उतरे. वह समाजवादी पार्टी कार्यालय से पैदल विधानसभा का मार्च निकाला रहे थे. लेकिन लखनऊ पुलिस ने मार्च को बीच में ही रोक दिया था, जिसके बाद एसपी प्रमुख अखिलेश यादव धरने पर बैठ गए थे. अब बीएसपी प्रमुख मायावती ने मार्च के रोके जाने को लेकर ट्वीट कर बीजेपी सरकार पर हमला किया है.
समाजवादी पार्टी के पैदल मार्च को रोकने पर एतराज़ जताते हुए बीएसपी प्रमुख मायावती ने योगी सरकार पर निशाना साधा है. मायावती ने अपने ट्विट में लिखा है, “विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता और जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना बीजेपी सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है. साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी और विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक.”

बीजेपी सरकार को दिलाई उनके संघर्ष के दिनों की याद
मायावती ने अपने एक और ट्वीट में योगी सरकार के विरोध की आवाज़ को दबाने और धरना प्रदर्शन के खिलाफ दमनकारी रुख अपनाने पर लिखा, “महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने व उनपर दमन चक्र के पहले बीजेपी जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आमजन जीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है.”

आपको बता दें मायावती ने बीजेपी के उस बयान पर भी कड़ा रुख अपनाते हुए ट्वीट किया था जिसमें लिखा था कि यूपी में प्रतिपक्ष बेरोज़गार है. बीएसपी चीफ ने इस बयान पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट किया कि, “यूपी विधानसभा मानसून सत्र से पहले बीजेपी का दावा कि प्रतिपक्ष यहाँ बेरोजगार है, यह इनकी अहंकारी सोच व गैर-जिम्मेदाराना रवैये को उजागर करता है. सरकार की सोच जनहित व जनकल्याण के प्रति ईमानदारी और वफादारी साबित करने की होनी चाहिए, न कि प्रतिपक्ष के विरुद्ध द्वेषपूर्ण रवैये की.”
मायावती ने कहा अगर सरकार ने काम किया होता तो वह विपक्ष विरोधी बयान की बजाए अपने काम का बखान करती, “यूपी सरकार अगर प्रदेश के समुचित विकास व जनहित के प्रति चिन्तित व गंभीर होती तो उनका यह विपक्ष-विरोधी बयान नहीं आता, बल्कि वे बताते कि जबर्दस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, गड्डायुक्त सड़क, बदतर शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था में नजर आने वाला सुधार किया है व पलायन भी रोका है.”

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