सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) निदेशक संजय कुमार मिश्रा को तीसरा विस्तार देने के केंद्र के आदेश को रद्द कर दिया और विस्तार आदेश को “अवैध” करार दिया है. अदालत ने मिश्रा को पद छोड़ने के लिए 31 जुलाई तक का समय भी दिया.
कोर्ट ने एक्सटेंशन देने वाले कानून के संशोधनों को रखा बरकरार
हालाँकि, उच्च न्यायालय ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम और केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में संशोधन की पुष्टि की, जिससे केंद्र को सीबीआई प्रमुख और ईडी निदेशक के कार्यकाल को उनके अनिवार्य दो साल से अधिक अवधि संभावित तीन साल तक बढ़ाने की शक्ति दी गई है.
अदालत ने कहा कि कानून पर न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत सीमित है, अदालत ने इन संशोधनों को बरकरार रखा, यह मानते हुए कि पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं. अदालत ने कहा कि जनहित में और लिखित कारणों के साथ उच्च स्तरीय अधिकारियों को विस्तार दिया जा सकता है.
तीन जजों की पीठ ने सुनाया फैसला
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मिश्रा की नियुक्ति के साथ-साथ केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में हालिया संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस नेता जया ठाकुर, रणदीप सिंह सुरजेवाला, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और तृणमूल पार्टी प्रवक्ता साकेत गोखले शामिल हैं. आपको बता दें, पीठ ने मई में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
कांग्रेस ने कहा फैसला सरकार के मुंह पर तमाचा
उच्चतम न्यायालय द्वारा ED निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाए जाने को अवैध करार दिए जाने पर कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने कहा, “यह सरकार के चहरे पर जोरदार तमाचा है. उच्चतम न्यायालय के फैसले से विस्तार देने के उद्देश्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है. यह उनकी (केंद्र सरकार) ओर से बड़ी विफलता है.”
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