ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ के कपाट गुरुवार को वैदिक अनुष्ठान और मंत्र उच्चारण के बीच सर्दियों के लिए बंद कर दिए गए. स्थानीय वाद्य यंत्रों, सेना के बैंड की धुन और सैकड़ों भक्तों के जयकारों के बीच ये नज़ारा मन को मोह लेने वाला था.
वेद मंत्रों,अनुष्ठानों,सेना के बैंड की धुन और सैकड़ों भक्तों के जयकारों के साथ सर्दियों के लिए बंद कर दिए गए हैं ऐसी मान्यता है कि कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ विश्व के कल्याण के लिए जाड़े में छह माह तक हिमालय में तपस्या क लिए चले जाते हैं pic.twitter.com/0SCofbgse3
— THEBHARATNOW (@thebharatnow) October 27, 2022
गुरुवार को ब्रह्म बेला पर प्रमुख पुजारी टी गंगाधर लिंग भगवान का अभिषेक किया. ठीक चार बजे सफेद वस्त्र में भगवान केदारनाथ के स्वयंभू लिंग की बाघंबर, चंदन और भस्मी से पूजा का गई. इसके बाद भगवान केदारनाथ के स्वयंभू लिंग को अक्षरा, भृगराज फल, फूल समेत विभिन्न प्रकार की पूजा सामग्री चढ़ा उन्हें 6 महिने के लिए समाधि दी गई. जिसके बाद ठीक 6 बजे गर्भगृह के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए.
वेद मंत्रों का पाठ हुआ, स्थानीय संगीत और सेना के धुन बजाये गये. भक्तो के जयकारे के साथ अगले छह महीने के लिए बाबा केदारनाथ धाम के द्वार को बंद कर दिया गया है. pic.twitter.com/w268Fu4iui
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गर्भगृह के कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली जिसे विशेष रूप से सजाया गया था उसे सुबह ठीक 8.30 बजे मंडप से मंदिर परिसर में लाया गया. डोली को मंदिर में लाने के दौरान पूरी केदारपुरी सैकड़ों श्रद्धालुओं के जयकारों से गूंज उठी. भगवान केदारनाथ के पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के मंदिर में आने के बाद भगवान केदारनाथ के मंदिर के मुख्य दरवाजे भी बंद कर दिए गए.
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मुख्य मंदिर के तीन चक्कर लगाने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली को ऊखीमठ स्थित ओकेरेश्वर मंदिर ले जाया गया जहां भगवान केदारनाथ शीतकाल बिताएंगे.