कैमूर (संवाददाता अजीत कुमार) : अगर इच्छा शक्ति मजबूत हो और काम के प्रति नीयत ईमानदार हो तो एक 2 साल के अंदर अयोध्या राम मंदिर जैसी विशाल संरचना बनकर तैयार हो जाती है और नीयत में खोट हो तो करोड़ों की परियोजना सुल्तानगंज गंगा पुल की तरह बीच में भी धाराशाही हो जाती है.
ऐसा ही एक मामला कैमूर जिले के मचखियां गांव के पास से गुजर रही दुर्गावती नदी में पुल बनाने का हैं. इस पुल को बनाने के लिए फरवरी 2019 में काम शुरु किया गया था. पुल के निर्माण के लिए आठ करोड़ ,एक्यासी लाख की रकम ग्रांट हुई थी लेकिन पांच साल बाद भी हालत ये है कि पुल बनाने का 15 प्रतिशत काम भी नहीं हुआ है. पुल बनाने के नाम पर चंद सरिये यहां वहां लगाये हुए दिखाई देते हैं, जो ये यहां के वासिंदों को ये याद दिलाता रहता है कि कुछ सालों पहले ही यहां सरकार ने पुल बनाने का वादा किया था. स्थानीय लोगों ने कई बार इस पुल को पूरा करने के लिए आवाजें इठाई लेकिन नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात. यही कारण है कि ग्रामीणों में काफी आक्रोश है.
Durgavati River Bridge से जुड़ी हैं ग्रामीणों की उम्मीद
आपको बता दें कि मचखियां गांव के पूरब में दुर्गावती नदी है और नदी के पूरब में उत्क्रमित मध्य विद्यालय और 10-12वीं के लिए जगजीवन स्कूल है. दुर्गावती नदी में सरसात के समय यानी जून महीने से लेकर दिसंबर महीने तक पानी भरा रहता है. बरसात के मौसम में तीन-चार महीना तक नदी उफनाई हुई रहती है. जिसके कारण ना बच्चे स्कूल पहुंच पाते हैं और ना ही शिक्षक.
ये भी पढ़ें: Flipkart के ऑफिस से हथियार के बल पर दो लाख 18 हजार रुपये की लूट, जांच में जुटी पुलिस
यही कारण है कि पुल बनाने में हो रही लेट लतीफी से मचखियां गांव के निवासी खासे नाराज हैं. इसकी वजह ये है कि जिस कंपनी ने पांच साल पहले पुल बनाने का ठेका लिया था और 8.81 करोड़ की राशि लेकर बैठ गया था, सरकार के विभाग ने एक बार फिर से उसी कंपनी को पुल बनाने के काम सौंप दिया है. इस संबंध में समाजसेवी डब्बू सिंह रामजी सिंह, सेवानिवृत प्रधानाध्यापक काशीनाथ सिंह कहते हैं कि दुर्गावती नदी पर 75 मीर लंबा आरसीसी पुल का निर्माण किया जाना है, काम की शुरुआत फरवरी 2019 में कंस्ट्रक्शन कम्पनी जय माता दी संवेदक संजय सिंह के द्वारा किया गया था. विभाग ने हैदराबाद की कंपनी बशिस्टा को फिर काम करने की अनुमति दी. आज फिर अधिकारियों की मिलीभगत से पुराने ठेकेदार को ही यहां कराने का आदेश दे दिया गया जिसका अब ग्रामीण विरोध कर रहे हैं . गांव वालों का कहना है कि अगर विभाग ने पुराने ठेकेदार से कां वापस नहीं लिया तो विरोध में पूरे गांव की जनता आमरण अनशन करेगी.