नई दिल्ली :Patanjali Misleading Advertising Case : पतंजलि आयुर्वद की दवाईयों के भ्रामक विज्ञापन के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को अपने भ्रामक विज्ञापनों के लिए सार्वजनिक मांफी मांगने के लिए कहा था. इस मामले पर जवाब देने के लिए आज पतंजलि आयुर्वेद एक बाऱ फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. सुप्रीमकोर्ट ने आज की सुनवाई के दौरान एर बार फिर से पतंजलि आयुर्वेद और योगगुरु बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई और एक बार फिर से 30 अप्रैल को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया.अदालत ने योगगुरु रामदेव को अपने विज्ञापनों को लेकर मांफीनामा बड़े अक्षरों में छपवाने के लिए कहा . इसके लिए पतंजलि योगपीठ ने अदालत से समय मांग जिसे मंजूर दे दी गई.
Patanjali Misleading Advertising Case पतंजलि ने दाखिल किया जवाब
पतंजली योगपीठ की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी अदालत में पेश हुए. मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह ने आज कड़े सवाल किये. पतंजलि योगपीठ के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि हमने अपना मांफीनामा दायर किया है, इसपर जस्टिस हिमा कोहली ने पूछा कि ये कल क्यों दायर किया गया.इसे पहले क्यों नही दिया गया.इसे पहले दिया जाना चाहिये था. वहीं दूसरे जज अमानुल्लाह ने पूछा कि ये विज्ञापन/माफीनामा कहां प्रकाशित हुए?
इस पर मुकुल रहोतगी ने कहा कि ये विज्ञापन/माफीनामा 67 अखबारों में दिये गये, इस पर दूसरी जज हिम कोहली ने पूछा विज्ञापन/माफीनामा का साइज क्या था, क्या ये विज्ञापन/माफीनामा भी उसी साइज के थे जितने साइज के आपके विज्ञापन थे.इस पर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि नहीं. इस विज्ञापन पर 10 लाख रुपये खर्च किये गये हैं.
योगगुरु रामदेव और बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट का क्या था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद की दवाईयों और अन्य उत्पादों को लेकर उनके मेडिसिनल प्रभाव के विज्ञापनों से संबंधित अवमानन के मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत रुप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया था. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह ने पंतजलि को पहले भेजे गये नोटिस का जवाब न देने पर कड़ी आपत्ति की थी और कहा था कि क्यों ना आपके खिलाफ अवमानन की कार्रवाई शुरु की जाये.
IMA की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे चल रही सुनवाई है.IMA ने अदालत में कोविड का मुकाबला करने के लिए बनाई गई मेडिसिन कोरोनिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमे IMA ने पतंजलि और योगगुरु रामदेव- आचार्य बालकृष्ण पर कोविड की रोकथाम के लिए लगाये जा रहे टीके और आधुनिक दवाइयों के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाया था. आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने IMA को भी जम कर लताड़ा.
स्वास्थ्य मंत्रालय को भी पड़ी फटकार
पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले पर ही सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा गया कि हमें एक याचिका मिली है, जिसमें इंडियन मेडिकल एसोससियेशन (IMA) पर 100 करोड़ का जुर्माना लगाने का बात कही गई है. इस पर योगगुरु रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनका इससे कुछ लेना देना नहीं है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ही कहा कि पहले याचिका सुनने दें फिर IMA पर भी जुर्माना लगायेंगे. इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नियम 170 को वापस लेने पर अदालत ने कहा कि अब आप नियम 170 वापस लेना चाहते हैं. अगर आपने ऐसा निर्णय लिया है तो आपके साथ क्या हुआ है, आप केवल उसी नियम के तहत कार्रवाई करना चाहते है, जिसे उत्तर देने वाला पुराना बता रहा है.
पतंजलि की खबर और विज्ञापन दोनों साथ साथ कैसे ? – जस्टिस अमानुल्लाह
जस्टिस अमनुल्लाह ने सवाल किया कि एक चैनल पर एक तरफ पतंजलि की खबर चल रही थी, वहीं दूसरी तरफ पतंजलि का विज्ञापन चल रहा था. हमने देखा कि पतंजलि मामले में दिखाया जा रहा था कि कोर्ट ने इस मामले में क्या कहा और उसी समय पतंजलि का विज्ञापन भी चल रहा था.
सुप्रीम कोर्ट के लपेटे में केंद्र सरकार भी
अदालत ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन पर सुनवाई करते हुए केंद्र सवाल पूछा कि ऐसे भ्रामक विज्ञापनों का मुकाबला करने के लिए विज्ञापन परिषद ने क्या किया ? अदालत ने IMA पर भी बरसते हुए कहा कि आपके सदस्य भी ऐसी दवाइयों का समर्थन करते हैं. आपके सदस्य दवाएं लिख रहे हैं. हम केवल इन लोगों को ही नहीं देख रहे है, बल्कि हमारे पास जो कवरेज हैं उससे पता चलता है कि सभी को नुकसान पहुचाने वाली दवाइयां लिखी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने IMA को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मामला केवल पतंजलि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दूसरी कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर भी है.