Delhi Elections 2025 : 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा के लिए सोमवार को प्रचार अभियान के समापन हो गया. शाम पांच बजे चुनाव प्रचार थम गया और सभी दलों का फोकस अब बुधवार 5 फरवरी को होने वाले मतदान पर शिफ्ट हो गया है. दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग होगी और 8 फरवीरी को परिणाम की घोषणा हो जायेगी.
Delhi Elections 2025 : किस तरफ चलेगी हवा ?
चुनाव प्रचार खत्म हो जाने के बाद अब ये सवाल उठना लाजमी है कि क्या इस बार आम आदमी पार्टी दिल्ली दिल्ली के दिल पर कब्जा करके जीत का चौका लगायेगी या फिर बदलाव क हवा चलेगी और भाजपा के 26 सालों का सूखा खत्म होगा ?
दिल्ली विधानसभा चुनाव पर क्या कहते हैं जानकार ?
जानकार अंदाजा लगा रहे हैं कि आम बजट में केंद्र सरकार ने जिस तरह से मिडिल क्लास को टैक्स में राहत देकर महंगाई के खिलाफ एक सकारात्मक कदम उठाया है उसे दिल्ली की जनता के दिल पर इसका प्रभाव पड़ सकता है. दिल्ली में भाजपा की वापसी हो सकती है.
2014 का दिल्ली विधानसभा चुनाव
2014 से देश में मोदी सरकार के आने के बाद एक नई तरह की हवा चली. भ्रष्टाचार को रोकने और एक साफ सुथरी और आम लोगों की सरकार ने परिवर्तन की एक नई हवा चलाई. जिस भाजपा को लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत मिला, 46 प्रतिशत वोट मिले और दिल्ली की सातों सीटों पर विजय मिली उसी दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भाजपा को एकदम खाली हाथ रहना पड़ा. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नें 70 मे से 67 सीटें जीती. लोकसभा चुनाव के मुकाबले में AAP के वोट में 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. वहीं भाजपा का वोट शेयर 14 प्रतिशत तो कांग्रेस का वोट प्रतिशत 5 फीसदी घट गया.
2019 लोकसभा और 2020 विधानसभा चुनाव
पांच साल बाद एक बार फिर से दिल्ली में यही हाल रहा . इस बार भी लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दिल्ली की सभी 7 सीटो पर विजय हासिल किया लेकिन विधानसभा चुनाव मे उनके हाथ पूरी तरह से खाली रहे. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के पास दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटें है. अब देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता इस बार विधानसभा के लिए किस पर भरोसा जताती है.
5 प्रतिशत वोट भी इधर-उधर हुआ तो बिगड़ जायेगा चुनावी गणित
जानकारों की माने तो अगर दिल्ली के चुनावी गणित में थोड़ा भी फेर बदल होता है, तो इस बार आम आदमी पार्टी के लिए सत्ता में वापसी कर पाना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. कारण ये है कि 15 साल के शासन और राज्य में एंटी इंकंबेसी का असर रहा और बीजेपी ने अगर आम आदमी पार्टी के 5 फीसदी वोट भी कम कर दिये तो AAP के पास 62 में घट कर 46 रह जाएंगी, जबकि भाजपा के लिए सीटों की सख्या 8 से बढ़ कर 24 हो जायेगी.वहीं एक अनुमान ये भी है कि अगर किसी तरह से कंग्रेस ने इस चुनाव में अपना प्रदर्शन सुधार लिया तो और उसने आम आदमी पार्टी के 5 प्रतिशत वोट भी काट लिये तो आम आदमी पार्टी 31 तक पर निपट सकती है.और इसका फायदा भाजपा को हो सकता है, भाजपा को 39 सीटें तक मिल सकती है.
आम आदमी पार्टी के लिए कांग्रेस भी एक चुनौती
हलांकि ये अभी केवल एक अनुमान है. चुनाव जानकार मानते हैं कि ये पहला मौका है जब आम आदमी पार्टी के मुखिया और उनकी कोर टीम मेंबर्स पर इस तरह से खुलकर भ्रष्ट्राचार के आरोप लगे हैं. एक आम आदमी के छवि वाली सरकार को शीश महल जैसे मुद्दे पर जवाब देना पड़ रहा है. विपक्षी भाजपा तो सवाल पूछ ही रही है, अब तक इंडिया गठबंधन में रही कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में विपक्ष का काम ही कर रही है.
चुनावी पंडितो का मानना है कि इस बार दिल्ली में एक तरह से बायपोलर चुनाव है. कांग्रेस पार्टी के मैदान में होने के बावजूद मुख्य मुकाबला आप और भाजपा के बीच ही है.
आम आदमी पार्टी के खिलाफ एंटी एनकंबेंसी बड़ा मुद्दा
आम आदमी पार्टी के लिए 5 साल के एंटी इंकंबेसी से निबटना इतना आसान नहीं होगा लेकिन इस बार भ्रष्ट्राचार के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी भले ही कटघरे में है लेकिन वो ये चुनाव अपने काम पर लड़ रही है. मिडिल क्लास से उन्हे भले ही थोड़ा नुकसान होता दिखाई दे रहा है लेकिन शिक्षा और गवर्नेनस के नाम आम आदमी पार्टी के पास अपना एक गरीब-दलित और अल्पसंख्यक के रूप में लॉयल वोट बैंक बनाया है. जो काफी मजबूत है. ये वोट बैंक अरविंद केजरीवाल ने अपनी फ्री बिजली- पानी, शिक्षा और मुहल्ला क्लिनिक जैसी योजनाओं से बनाया है.
जिनके पास रहेगा महिलाओं का साथ, जीत रहेगी उनके साथ
जानकार मानते हैं कि दिल्ली में इस बार दिल्ली के चुनाव का जो पैटर्न रहा है उसके मुताबिक यहां लास्ट मिनट फैसला करने वालों की बड़ी संख्या है. देखा जाये तो दिल्ली की लगभग एक तिहाई जनता ऐसी है जो केंद्र प्रधानमंत्री मोदी और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को पसंद करती है, साथ ही मतदान का रिजल्ट इस बात पर भी निर्भर करेगा कि महिलाएं किसे अपनी पसंद बनाती है.