DELHI BJP CM FACE : दिल्ली विधानसभा का चुनाव लगभग आ ही गया है. चुनाव आयोग आने वाले दिनों में कभी भी प्रदेश में विधानसभा की घोषणा कर सकता है. इस बीच दिल्ली की तीनों बड़ी सियासी पार्टियां आम आदमी पार्टी,बीजेपी और कांग्रेस पूरी तरह से चुनावी मोड में है. 70 सीटों वाली विधानसभा के लिए तीनों पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवारो के नामों की घोषण कर दी है.आम आदमी पार्टी ये चुनाव अरविंद केजरीवाल के नाम पर लड़ रही है. वहीं भाजपा ने तय किया है को वो बिना किसी को सीएम फेस परोजेक्ट किये ही मैदान में उतरेगी.
DELHI BJP CM FACE:भाजपा जीती तो दिल्ली का सीएम कौन ?
दरअसल इस बार दिल्ली का विधानसभा चुनाव एक तरह से बीजेपी के लिए नाक का सवाल है. 2014 से ही लगातार बीजेपी की अगुवाई में एनडीए केंद्र में काबिज है लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद दिल्ली का दुर्ग भेदने में सफल नहीं हुई है.
पिछले दो चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली में कई नये पुराने फॉर्मूले आजमाए लेकिन 1998 से लेकर अब तक केंद्र शासित दिल्ली में कमल नहीं खिला पाई. यहां तक की मोदी लहर में भाजपा का विजय रथ पूर्वोत्तर के राज्यों में भी पहुंच गया लेकिन दिल्ली उनके लिए मनसूबा ही बना रहा.
2015, और 2020 में हर रणनीति फेल हो जाने के बाद अब भाजपा ने 2025 विधानसभा के चुनाव में बिना फेस ही मैदान में उतरने का फैसला किया है.माना जा रहा है कि ये भी भाजपा की रणनीति ही है. 2020 में भी पार्टी ने दिल्ली में किसी को सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया था, और करारी हार झेलनी पड़ी थी.
फेल नुस्खे को क्यों आजमा रही है बीजेपी ?
भाजपा ऐसा क्यों कर रही है, इस सवाल के जवाब में जानकारों का मानना है कि दिल्ली में भाजपा के पास अभी कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसे वो अरविंद केजरीवाल के मुकाबले में उतार सके. इसलिए अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में भी बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी. दिल्ली में भी भाजपा पीएम मोदी के काम और उनकी उपलब्धियों पर चुनाव लड़ेगी. भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी में इस बात को लेकर चर्चा भी हुई कि किसी दूसरे राज्य से लाकर सीएम का चेहरा प्रोजेक्ट कर दिया जाए,जैसा कि 1998 में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को प्रोजेक्ट करके किया था. तब कांग्रेस ने सुषमा स्वराज के सामने शीला दीक्षित को उतारा था और चुनाव जीत गये थे, लेकिन दिल्ली में हुई मंथन में मामला इस बात यहां कर फंस गई कि बाहर से लाये कैंडिडेट की कैमिस्ट्री लोकल कार्यकर्ताओं के साथ अगर नहीं बनी तो क्या होगा ? किसी गड़बड़ के बचने के लिए भाजपा ने इस संभावना को ही नकार दिया गया और अब एक बार फिर दिल्ली विधानसभा का चुनाव भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर ही लड़ने जा रही है.