सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर मामले में सुनवाई करते हुए अपने 17 मई और 20 मई के आदेश को ही आगे बढ़ा दिया. कोर्ट ने 17 मई को अपने एक अंतरिम आदेश में वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के अंदर के क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे. शुक्रवार को हिंदु पक्ष ने कोर्ट को याद दिलाया की उसका आदेश 12 नवंबर तक के लिए ही था. इसपर कोर्ट ने अपने आदेश को आगे बढ़ दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को तीन हफ्तों का समय दिया जिसमें उन्हें एक दूसरे की याचिकाओं पर जवाब देना होगा.
क्या थी हिंदू पक्ष की दलील
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस पी एस नरसिम्हा ने इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट में हिंदू पक्ष के वकील रंजीत कुमार ने कहा, मई महीने में जो मस्जिद कमिटी ने याचिका दाखिल की थी, वह अब अर्थहीन हो चुकी है. परिसर की जांच के लिए कोर्ट की तरफ से कमिश्नर नियुक्त करने को जो मस्जिद कमिटी ने चुनौती दी थी उस मामले में वो कमिटी के लोग खुद ही कमिश्नर के सामने पेश होकर अपनी बात रख चुके हैं.
मुस्लिम पक्ष ने क्या जवाब दिया
हिंदू पक्ष की दलील पर मुस्लिम पक्ष न कहा कि अगर कोर्ट इस मामले में एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति करने को गलत करार देता है, तो उसका पूरे मामले पर पड़ेगा. इस मामले में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमिटी के लिए वकील हुजैफा अहमदी कोर्ट के सामने पेश हुए. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा, “फिलहाल हम कोई फैसला नहीं ले रहे. बेहतर हो कि दोनों पक्ष एक दूसरे की बात का 3 हफ्ते में जवाब दें.”
सभी मामलों को ज़िला जज को सौंपने की मांग
हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के सामने ये बात भी रखी कि वाराणसी के सिविल कोर्ट में ज्ञानवापी मामले को लेकर कई अलग-अलग पक्षों ने मुकदमे दाखिल कर रखे हैं. उनका कहना था कि जब मुख्य मामले पर जिला जज सुनवाई कर रहे है तो ये सभी मामले भी उनको ट्रांसफर कर दिया जाए. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इसके लिए जिला जज के पास आवेदन दे सकते हैं.