गुरुवार को (7 मार्च) को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स यानी ADR ने सुप्रीम कोर्ट में SBI के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है. याचिका चुनावी बॉन्ड Electoral bond case मामले में दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड मामले में फैसला सुनाते हुए एसबीआई से 6 मार्च तक बॉन्ड से जुड़ी जानकारी मुहैया करानी थी लेकिन SBI ने जानकारी मुहैया नहीं कराई.
SBI ने बॉन्ड से मिले चंदे का ब्योरा देने मांगा था 30 जून तक का समय
वहीं चुनावी बॉन्ड की जानकारी मुहैया कराने के लेकर एसबीआई ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. एसबीआई ने अपनी याचिका में बॉन्ड से जुड़ी जानकारी मुहैया कराने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 11 मार्च को सुनवाई हो सकती है.
एसबीआई की दलील है कि चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे की जानकारी देने के लिए उसे ‘प्रत्येक साइलो’ से जानकारी फिर से प्राप्त करनी होगी. फिर एक ‘साइलो’ की जानकारी को दूसरे से मिलाने होगा. इस प्रक्रिया में समय लगेगा.
15 फरवरी को 5 जजों की बैंच ने चुनावी बॉन्ड को बताया था असंवैधानिक
15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले सुनाते हुए चुनावी बांड योजना को “असंवैधानिक” बताया था. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग के बारे में जानकारी जनता को चुनावी विकल्प चुनने के लिए आवश्यक है. कोर्ट ने योजना को सूचना के अधिकार और धारा 19(1)(ए) का उल्लंघन माना. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों द्वारा दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्य से दिया जाता है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बैंक तत्काल चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद कर दें.
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