Mayawati: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की अफवाहों का खंडन करते हुए कहा कि वह दलितों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगी.
अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर एक पोस्ट में मायावती ने कहा कि ये अफवाहें ‘जातिवादी’ मीडिया द्वारा फैलाई गई हैं और इनमें कोई सच्चाई नहीं है.
Mayawati ने सन्यास की खबरों का किया खंडन
“सोमवार को एक के बाद एक लिखे 3 पोस्ट में बीएसपी सुप्रीमों ने न सिर्फ अपने सन्यास लेने की खबरों का खंडन किया बल्कि ये भी बताया की वो क्यों अपने भतीजे को पार्टी की जिम्मेदारी सौंप रही हैं. मायावती ने लिखा, बहुजनों के अम्बेडकरवादी कारवाँ को कमजोर करने की विरोधियों की साजिशों को विफल करने के संकल्प हेतु बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं मान्यवर श्री कांशीराम जी की तरह ही मेरी जिन्दगी की आखिरी सांस तक बीएसपी के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट को समर्पित रहने का फैसला अटल.
अर्थात सक्रिय राजनीति से मेरा सन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है. जबसे पार्टी ने श्री आकाश आनन्द को मेरे ना रहने पर या अस्वस्थ विकट हालात में उसे बीएसपी के उत्तराधिकारी के रूप में आगे किया है तबसे जातिवादी मीडिया ऐसी फेक न्यूज प्रचारित कर रहा है जिससे लोग सावधान रहें.”
राष्ट्रपति बनाए जाने की चर्चा पर क्या बोली बीएसपी सुप्रीमों
मायावती ने अपने को राष्ट्रपति बनाए जाने की चर्चा पर भी रुख साफ किया उन्होंने पोस्ट में लिखा, “हालाँकि पहले भी मुझे राष्ट्रपति बनाए जाने की अफवाह उड़ाई गयी, जबकि मान्यवर श्री कांशीराम जी ने ऐसे ही आफर को यह कहकर ठुकरा दिया था कि राष्ट्रपति बनने का मतलब है सक्रिय राजनीति से सन्यास लेना जो पार्टी हित में उन्हें गवारा नहीं था, तो फिर उनकी शिष्या को यह स्वीकारना कैसे संभव?”
आज बीएसपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है
बीएसपी मंगलवार यानी आज अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करेगी, जिसमें पार्टी हरियाणा और महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी रणनीति तय करेगी. बैठक में मायावती को एक बार फिर पार्टी की कमान सौंपी जाने की संभावना है. 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में दस सीटें जीतने वाली बसपा 2024 के लोकसभा चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल पाई और उसके उम्मीदवार अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर रहे. हाल के लोकसभा चुनावों में बसपा को करीब नौ फीसदी वोट मिले थे.
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