मंगलवार को नई संसद की लोकसभा पेश किया गया महिला आरक्षण बिल जहां मोदी सरकार की वहवाही और गेम चेंजर साबित होने की बात चल रही थी. वहीं अब ये बिल मोदी सरकार की किरकिरी करा रहा है. कांग्रेस तो पहले ही इस बिल को मोदी सरकार का सबसे बड़ा जुमला बता चुकी है. अब समाजवादी पार्टी और मायावती ने भी इसे झूठ करार दे दिया है.
महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए लाया गया है बिल-मायावती
बुधवार को बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि, “जहां इस बिल के मुताबिक आने वाले 15-16 सालों में देश में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जाएगा. इस बिल के पास होने के बाद इसे तुरंत लागू नहीं किया जा सकेगा. सबसे पहले देश में जनगणना कराई जाएगी और इसके बाद सीटों का परिसीमन किया जाएगा. जनगणना में काफी समय लगता है… इसके बाद ही यह बिल लागू होगा… इससे साफ है कि यह बिल महिलाओं को आरक्षण देने के इरादे से नहीं लाया गया है बल्कि आगामी चुनाव से पहले महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए लाया गया है.“
#WATCH इस बिल के मुताबिक आने वाले 15-16 सालों में देश में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जाएगा। इस बिल के पास होने के बाद इसे तुरंत लागू नहीं किया जा सकेगा। सबसे पहले देश में जनगणना कराई जाएगी और इसके बाद सीटों का परिसीमन किया जाएगा। जनगणना में काफी समय लगता है… इसके बाद ही यह बिल… pic.twitter.com/tSMN6tDiUY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 20, 2023
आधा-अधूरा बिल ‘महिला आरक्षण’ जैसे गंभीर विषय का उपहास है-अखिलेश
वहीं समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी महिला आरक्षण बिल को महाझूठ कहा, एक्स पर किए एक पोस्ट में अखिलेश यादव ने लिखा, “नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू करी है. जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएँगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी. भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न जातिगत गणना के, इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है. ये आधा-अधूरा बिल ‘महिला आरक्षण’ जैसे गंभीर विषय का उपहास है, इसका जवाब महिलाएं आगामी चुनावों में भाजपा के विरूद्ध वोट डालकर देंगी.”
नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू करी है।
जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएँगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी। भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 20, 2023
ऐसा माना जा रहा था कि महिला आरक्षण बिल के जरिए सरकार इंडिया गठबंधन में मौजूद विरोधाभास को उजागर कर सियासी फायदा ले पाएगी. क्योंकि आरजेडी, समाजवादी पार्टी, बीएसपी जैसी कई पार्टियां इस बिल में कोटे के अंदर कोटे की मांग कर इसका विरोध करती रही है. लेकिन लगता है बिल के फौरन लागू नहीं करने के प्रावधान ने बीजेपी को ही आलोचनाओं का निशाना बना दिया है.
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वहीं सदन में अपनी पार्टी का पक्ष रखते हुए समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव ने कहा, “सपा की हमेशा से मांग रही है कि पिछड़ा वर्ग महिला तथा अल्पसंख्यक महिला को नारी शक्ति वंदन अधिनियम में शामिल किया जाए और इसमें उनको आरक्षण दिया जाए. लोकसभा और विधानसभा में यह महिला आरक्षण बिल तो लागू होगा लेकिन हम पूछना चाह रहे हैं कि राज्यसभा और विधान परिषद में लागू होगा कि नहीं? आने वाले चुनाव में यह लागू हो पाएगा की नहीं और 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में ये लागू हो पाएगा की नहीं? सवाल ये भी है कि जनगणना कब होगा और परिसीमन कब होगा?”
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