दिल्ली
श्रद्धा वाकर हत्या मामले में पुलिस लगातार सबूतों की तलाश में है. फिलहाल आरोपी आफताब जो कुछ भी कह रहा है पुलिस उसी को मान कर अपनी जांच कर रही है और अभी तक के खुलासे से लग रहा है कि आफताब केवल पुलिस को घुमा रहा है. रोज नई कहानी सुना रहा है और जांच को भटकाने की कोशिश कर रहा है. उसके कबूलनामे पर अगर ध्यान दें तो ये समझ लीजिए कि उसके आधार पर पुलिस के लिए चेन ऑफ इवेंट को साबित करना बहुत मुश्किल है.
मुश्किल इसलिए क्यों कि अभी तक दिल्ली पुलिस को कुछ भी ऐसा नहीं मिला है जिससे आफताब का अपराध अदालत में साबित हो सके. आफताब ने बताया कि उसने श्रद्धा को काट कर फेंक दिया लेकिन अभी तक कटे शरीर का कोई टुकड़ा नहीं मिला है. ना खून से सने उसके कपड़े मिले हैं. जिस फ्रिज में शरीर काट कर रखा उसमें खून का धब्बा या लाश रखने के सबूत तक नहीं मिले हैं.जिस बाथरूम में शरीर के टुकड़े किए उस बाथरूम में खून का कोई धब्बा तक नहीं मिला है. वो हथियार भी नहीं मिला है जिससे श्रद्धा के शरीर के टुकड़े किए थे. आफताब ने ही बताया कि उसने श्रद्धा के सिर को जलाकर फेंका ताकी उसकी पहचान ना हो सके लेकिन अभी तक कटे सिर का भी कहीं अता पता नहीं है. सबूत के तौर पर पुलिस ने पानी का बिल निकाला है और उन लड़कियो की तलाश कर रही है जिसके साथ वो श्रद्धा की मौत (कथित तौर पर) के बाद भी संबंध बनाता रहा.
मतलब ये कि जो कहानी आफताब सुना रहा है वो सच है भी कि नहीं ये पता नहीं चल पा रहा है. उसके कहे के मुताबिक पुलिस को भी ऐसा कुछ नहीं मिला है जो उसकी कहानी को सच साबित करे या उससे लिंक जोड़े.
आफताब हत्या की जो कहानी सुना रहा है वो तो अभी तक कहीं से भी साबित नहीं हो रही है तो ऐसी हालत में अगर उस कहानी से थोड़ा हट कर देखें तो ऐसा भी तो हो सकता है कि आफताब ने श्रद्धा की हत्या किया ही ना हो, क्योंकि उसने श्रद्धा का मर्डर कर दिया है इसका भी तो कोई सबूत नहीं है. ये भी तो हो सकता है कि श्रद्धा जिंदा हो. क्योंकि श्रद्धा मर चुकी है ये भी तो अभी साबित नहीं हुआ है. हो सकता है कि आफताब ने श्रद्धा को कहीं गायब कर दिया हो, या गलत हाथों में उसका सौदा कर दिया हो,या किसी धंधेबाज के हवाले कर दिया हो. ये ह्यूमन ट्रैफिकिंग का भी मामला हो सकता है. ऐसे हजारों मामले हर साल अपने देश में सामने आते हैं.ये कोई नई बात नहीं है. हो सकता है कि लाचार श्रद्धा किसी शेख के हरम में पहुंच गई हो या फिर विदेश के किसी रेड लाइट एरिया में पहुंचा दी गई हो. ये सिर्फ एक एंगल है जो ह्यूमन ट्रैफिकिंग का हो सकता है और सब जानते हैं कि ऐसा होता भी है.
पुलिस को इस एंगल पर ध्यान देने की जरूरत है. पुलिस खुद बता रही है कि आफताब श्रद्धा की हत्या के बाद भी कई लड़कियों के सपर्क में था. आफताब अलग अलग डेटिंग ऐप के जरिये लड़कियों को फंसा कर अपने कमरे पर ले जाता था. इसके लिए वो अलग अलग फोन नंबरों का इस्तेमाल कर रहा था. श्रद्धा से उसकी मुलाकात भी डेटिंग साइट से ही हुई थी. हो सकता है कि आफताब ने श्रद्धा के अलावा भी अब तक कई लड़कियों को गायब कर दिया हो. पुलिस को इन एंगल्स पर जांच करनी चाहिए.
पुलिस आफताब का नार्को टेस्ट कराना चाहती है कि क्योंकि उसे लग रहा है कि आफताब जो बता रहा है वो सच है भी कि नहीं.पुलिस भले ही नार्को टेस्ट करा ले लेकिन नार्को के दौरान मिले सबूत कोर्ट में मान्य नहीं होते हैं हां उसे एक सपोर्टिव एविडेंस के तौर पुलिस इस्तेमाल कर सकती है.
पुलिस नार्को टेस्ट के दौरान उन जानकरियों को क्रॉस चेक करने की कोशिश करेगी जो आफताब से मिली है क्योंकि पुलिस को भी शक है कि आफताब कहीं पुलिस को गलत जानकारियां ना दे रहा हो.आफताब की गतिविधियां शुरू से ही संदिग्ध हैं क्योंकि ये मानना मुश्किल है कि एक शातिर आपराधी जिसने इतनी प्लानिंग के साथ हत्या को अंजाम दिया वो एक दम इतनी आसानी से हत्या का इल्जाम अपने ऊपर ले लेगा? इसलिए पुलिस को श्रद्धा के जिंदा होने और ह्यूमन ट्रैफिकिंग वाली थ्योरी पर भी काम करना चाहिए.

