Sunday, November 9, 2025

जस्टिस सूर्यकांत अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे, CJI गवई ने उत्तराधिकारी की घोषणा की

- Advertisement -

मुख्य न्यायाधीश भूषण आर. गवई ने अपने उत्तराधिकारी के नाम का एलान कर दिया है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत Justice Surya Kant भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश बनने के लिए तैयार हैं. सरकार के औपचारिक रूप से अधिसूचित होने के बाद, उनके 24 नवंबर को पदभार ग्रहण करने और 9 फरवरी, 2027 तक सेवा करने की उम्मीद है. 23 नवंबर को न्यायमूर्ति गवई की सेवानिवृत्ति हो रहे हैं.

मेरे तरह न्यायमूर्ति कांत ने भी जीवन का संघर्ष देखा है- CJI गवई

मुख्य न्यायाधीश गवई ने अपनी सिफ़ारिश में न्यायमूर्ति कांत को “हर लिहाज़ से कमान संभालने के लिए उपयुक्त और सक्षम” बताया, और कहा कि दोनों की सामाजिक पृष्ठभूमि एक जैसी है, जिसमें दृढ़ता और संघर्ष झलकता है.
हिंदुस्तान टाइम्स ने जस्टिस गवई ने हवाले से लिखा, “मेरी तरह, न्यायमूर्ति कांत भी समाज के उस वर्ग से आते हैं जिसने जीवन के हर पड़ाव पर संघर्ष देखा है, जिससे मुझे पूरा विश्वास है कि वे उन लोगों के दर्द और पीड़ा को समझने के लिए सबसे उपयुक्त होंगे जिन्हें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका की ज़रूरत है.”

Justice Surya Kant का हिसार से सुप्रीम कोर्ट तक का सफ़र

10 फ़रवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार में जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत की उन्नति शैक्षणिक उत्कृष्टता और प्रशासनिक कौशल, दोनों को दर्शाती है. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, हिसार से स्नातक, उन्होंने 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून की डिग्री प्राप्त की.
उन्होंने 1985 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय जाने से पहले हिसार जिला न्यायालय से अपना करियर शुरू किया, जहाँ उन्होंने संवैधानिक, सेवा और दीवानी मामलों में विशेषज्ञता हासिल की. उनकी तीक्ष्ण कानूनी समझ और संतुलित वकालत ने उन्हें विश्वविद्यालयों, बोर्डों और बैंकों सहित कई प्रमुख सार्वजनिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया.
2000 में, मात्र 38 वर्ष की आयु में, वे हरियाणा के सबसे कम उम्र के महाधिवक्ता बने – एक ऐसी उपलब्धि जिसने उन्हें राज्य के सबसे प्रमुख कानूनी हस्तियों में से एक बना दिया. अगले वर्ष उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया गया.

न्यायिक करियर और उपलब्धियाँ

न्यायमूर्ति सूर्यकांत को जनवरी 2004 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया, जहाँ उन्होंने 14 वर्षों से अधिक समय तक सेवा की. अपने कार्यकाल के दौरान, वे अपनी कठोर कार्यशैली और संवैधानिक सटीकता के साथ सामाजिक जागरूकता को मिलाकर दिए गए निर्णयों के लिए जाने जाते थे.
अक्टूबर 2018 में, उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला और मई 2019 में उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया.
सर्वोच्च न्यायालय में, न्यायमूर्ति कांत कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं और उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसलों में योगदान दिया है, जिनमें अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के 2023 के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है. उन्होंने संवैधानिक कानून, मानवाधिकार और प्रशासनिक मुद्दों पर 1,000 से अधिक फैसलों में भाग लिया है.
वे सर्वोच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष (नवंबर 2024 से) और राष्ट्रीय विधि अध्ययन एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय, रांची के कुलाध्यक्ष भी हैं. इससे पहले, वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के दो कार्यकाल के सदस्य रहे हैं और भारतीय विधि संस्थान में सक्रिय हैं.

हरियाणा से आने वाले पहले मुख्य न्यायाधीश होंगे न्यायमूर्ति सूर्यकांत

मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने पर, न्यायमूर्ति सूर्यकांत देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन होने वाले हरियाणा के पहले व्यक्ति बन जाएँगे. उनकी नियुक्ति न्यायिक नियुक्तियों को नियंत्रित करने वाले प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) के तहत उत्तराधिकार की वरिष्ठता-आधारित प्रणाली में निरंतरता का भी प्रतीक होगी.

ये भी पढ़ें-महागठबंधन की फ्रेडली फाइट का मामला सुलझाने में जुटी कांग्रेस,3 वरिष्ठ नेताओं को भेजा पटना

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news