संवाददाता-अभिषेक कुमार, हाजीपुर वैशाली: ढोल की थाम…..झूमती महिलाएं…..नाचते भक्त और हवां में धूनी की खुशबू…..बिहार के हाजीपुर में लगने वाले दुनिया के सबसे बड़े भूतों के मेला का ऐसा मेला जहां एक रात में बुलाये जाते है हजारों लाखों बुरी आत्माओं और भूतों. हाजीपुर के कोनहारा घाट जिसे पुराणों में मोक्ष भूमि माना भी कहा जाता है इन दिनों अंधविश्वास कहें या आस्था के मारे हज़ारों हज़ार लोगों से भरा हुआ है.
क्या है कोनहारा घाट से जुड़ी मान्यता
कोई यहां भूत उतरवाने आया है तो कोई बुरी आत्मा के साय से परेशान है. मान्यता है कि हाजीपुर के कोनहारा घाट पर भगवान विष्णु ने गज यानी हाथी रूपी अपने भक्त की पुकार पर प्रकट हो शापित गग्राह ( घड़ियाल ) का वध कर भक्त को मुक्ति दिलाई थी. विष्णु के हाथों मारा गया शापित गग्राह ( घड़ियाल ) भी मोक्ष पा गया थाा. तभी से इस जगह को मोक्ष भूमि माना जाता है. माना जाता है की इस स्थान पर हर तरह की मुक्ति हासिल हो जाती है.
कार्तिक पूर्णिमा की रात होती है बहुत खास
कार्तिक पूर्णिमा की रात होने वाले विशेष मेले में दूर दराज के लाखों लोग पहुँचते है. अंधविश्वासों , भूत और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए ओझा और भूतों को मानने वाले और भूतों से परेशान लोग इस ख़ास दिन का इंतजार करते है और यहाँ आ कर अनुष्ठान कर भूतों को अपने ऊपर से भगाते है. भूत बुलाने का अनुष्ठान जिसे स्थानीय भाषा में भूत खेली कहते है रात भर चलता है.
जगह-जगह होता है भूत खेली
कार्तिक पूर्णिमा की रात कई किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस मेले में आपको दूर दूर धुआँ उठता और एक से बढ़ कर एक अनूठे भूत अनुष्ठान होते नज़र आएंगे. इस मेले में जहां लाखों लोग बुरी आत्माओं से छुटकारा के लिए पहुँचते है. वहीं भूत को पकड़ने और भगाने का दावा करने वाले ओझा भी इस मेले में बड़ी संख्या में आ कर अपनी दुकान लगाते है. जगह-जगह सजी ओझाओं की दुकानों पर भूत भगाने और उतारने के करतब देख आपको बरबस अरेबियन नाइट्स और अलिफ लैला की दुनिया याद आ जाएगी. कही भूत भगाने के लिए महिलाओं को बालो से खींचा जाता है तो कहीं डंडो से पिटाई की जाती है. भूतों के इस अजूबे मेले में आये ओझा भी अजब-गजब करतब करते नज़र आते है.
भारत के दो रुप विज्ञान और अंधविश्वास
कुल मिलाकर कहें तो भारत विविधताओं का देश है ये बात सिर्फ संस्कृति, भाषा खान पान पहनावे में नहीं हमारी सोच और मान्यताओं में भी सच है. एक तरफ जहां विज्ञान के क्षेत्र में रोज़ नई उपलब्धियां हासिल कर हम दुनिया में अपना लोहा मनवा रहे हैं. चांद पर झंडे गाड़ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ हाजीपुर के भूतों के मेले में भूतों और आत्माओं से मुक्ति पाने झाड़ फूंक करवाते नज़र आते हैं. ये दो भारत नहीं बल्कि एक भारत के दो रुप है तो सदियों से साथ चलते आए है और चलते रहेंगे.
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