Akhilesh-Amit Shah Face off: गुरुवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच लोकसभा में उस समय टकराव की स्थिति पैदा हो गई जब अखिलेश यादव ने दावा किया कि उन्हें सुनने में आया है कि अध्यक्ष के कई अधिकार छीन लिए जाएंगे.
अखिलेश यादव ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 एक राजनीतिक साजिश के तहत लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कई धार्मिक संस्थाएं हैं जो किसी अन्य वर्ग के हस्तक्षेप के बिना काम करती हैं.
किस जिलाधिकारी की ओर किया अखिलेश यादव ने इशारा
अखिलेश यादव ने वक्फ बोर्ड में एक गैर-मुस्लिम की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा, “वक्फ बोर्ड में एक गैर-मुस्लिम को रखने का क्या मतलब है? अगर हम इतिहास को देखें और एक जिला कलेक्टर को सारी शक्ति देने पर विचार करें… मैं अतीत को फिर से नहीं देखना चाहता, लेकिन हम जानते हैं कि एक जिला कलेक्टर ने क्या किया जिससे लोगों को परेशानी हुई.” लोकसभा सांसद अखिलेश यादव केरल के अलपुझा के कुट्टनाड के मूल निवासी के के नायर की ओर इशारा कर रहे थे, जिन्हें जून 1949 में फैजाबाद का जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया था, बाबरी मस्जिद (अब राम मंदिर) में मूर्ति रखे जाने से महीनों पहले.
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि भाजपा हताश और निराश है और पार्टी अपने कट्टर समर्थकों को खुश करने की कोशिश कर रही है.
Akhilesh-Amit Shah Face off: ‘हमारे अधिकारों में कटौती की जा रही है’
अखिलेश ने कहा, “अध्यक्ष महोदय, आपके और हमारे अधिकारों में कटौती की जा रही है. याद कीजिए मैंने आपसे कहा था कि आप लोकतंत्र के न्यायाधीश हैं और अध्यक्ष महोदय, मैंने लॉबी में सुना है कि आपके कई अधिकार छीने जा रहे हैं. हम सब आपके लिए लड़ेंगे.”
भड़क गए अमित शाह
अखिलेश यादव के इस बयान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भड़क गए और तुरंत हस्तक्षेप करते हुए कहा कि अध्यक्ष के पास पूरे सदन पर अधिकार है.
अमित शाह ने कहा, “अखिलेश जी, आप इस तरह की गोलमोल बातें नहीं कर सकते. आप अध्यक्ष के अधिकारों के संरक्षक नहीं हैं.
हालांकि, अखिलेश यादव ने जवाब दिया, “यह विधेयक इसलिए लाया गया है क्योंकि भाजपा को हाल ही में चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है.”
आपको बता दें, 40 प्रस्तावित बदलावों के साथ, वक्फ (संशोधन) विधेयक मौजूदा वक्फ अधिनियम के कई प्रावधानों को निरस्त करने का प्रयास करता है, जो वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करता है. इसमें महत्वपूर्ण संशोधनों का भी सुझाव दिया गया है, जिसमें इन निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के उपाय शामिल हैं.
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